Sunday 11 October 2015

मेरी शिकायत पर ही इतना हंगामा क्यों? ः आजम खान

पिछले कुछ समय से हमारे समाज में जो ध्रुवीकरण करने की कोशिशें हो रही हैं वह निश्चित रूप से चिन्तनीय हैं। जो देश-दुनिया का सिरमौर बनने जा रही हैं। वहां इस प्रकार की सांप्रदायिक घटनाएं देश के अंदर तनाव बनाती हैं और विदेशों में भारत की छवि को धब्बा लगती हैं पर जब हमारे अपने सियासतदान खुद ही दुनिया के सामने यह रोना रोना शुरू कर दें तो क्या किया जाए? मैं उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्री आजम खान की बात कर रहा हूं। आजम खान ने हाल ही में दादरी कांड के बाद पांच अक्तूबर को संयुक्त राष्ट्र महासचिव को पत्र लिखकर उनसे देश के मुसलमानों के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग कर डाली है। सवाल यहां यह उठता है कि भारत के अंदरुनी मामलों में संयुक्त राष्ट्र को बीच में लाना क्या उचित है? देश सेवा है? इस तरह एक घरेलू विवाद को शीर्ष पर ले जाकर हिन्दुस्तान की धज्जियां उड़ाना सही कैसे माना जा सकता है? फासीवादी ताकतों की हिन्दुस्तान को हिन्दू राष्ट्र बनाने की कथित कोशिशों की संयुक्त राष्ट्र से शिकायत करने वाले आजम खान ने अपने इस कदम को सही करार दिया है। उन्होंने कहा कि जब दूसरे भी यूएन गए थे तो मेरी शिकायत पर ही हंगामा क्यों बरपा है? उन्होंने कहा कि जब बदायूं कांड और बाल आश्रम से जुड़े तमाम मुद्दों को वैश्विक संस्था के सामने ले जाया गया, तब समाज के ठेकेदार कहां थे? आजम खान की इस दलील पर शिवसेना भड़क गई थी। पार्टी ने अपने मुख पत्र सामना के जरिये उन पर जोरदार हमला बोला है। शिवसेना ने आजम खान को देशद्रोही तक कह दिया। पार्टी ने सामना में लिखा, आजम खान एक नापाक आदमी की तरह घरेलू विवाद को शीर्ष पर ले जाकर हिन्दुस्तान की छवि की धज्जियां उड़ाने का काम कर रहे हैं। आजम को इस्तीफा दे देना चाहिए और यदि मुलायम में तनिक भी देशभक्ति बची है तो उन्हें आजम से इस्तीफा मांग लेना चाहिए। सामना में लिखा गया कि आजम ने एक पत्र संयुक्त राष्ट्र संघ को लिखकर मांग की कि मुस्लिमों की दुर्दशा पर वह ध्यान दे। यह एक प्रकार का देशद्रोह है और आजम खान को देश के किसी संवैधानिक पद पर बने रहने का अधिकार अब नहीं है। निर्वाचन आयोग को इसका संज्ञान लेते हुए आजम खान को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। संपादकीय में लिखा है कि दादरी मामले पर आजम खान को इतना धक्का लगा है तो उत्तर प्रदेश की बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं पर चिन्ता क्यों नहीं है? आजम खान ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को लिखी चिट्ठी में यह भी लिखा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत में मुसलमानों के जनसंहार की साजिश रच रहा था।

-अनिल नरेन्द्र

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