Saturday, 10 October 2015

महामहिम की देशवासियों को नेक सलाह

दादरी कांड के दुखद हादसे के बाद सियासी नेताओं द्वारा दिए जा रहे भड़काऊ भाषणों के मद्देनजर महामहिम प्रणब मुखर्जी ने देशवासियों को उनके मूल संस्कारों की याद दिलाते हुए मिलजुल कर रहने की नेक सलाह दी है। तनाव बढ़ता देख बिसाहड़ा गांव में मंगलवार रात सेना तैनात कर दी गई। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहाöविविधता, सहिष्णुता और बहुलता भारत के मूल्यों में शुमार है। इन्हें मिटने नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहाöहमें अपने बुनियादी मूल्यों को दिमाग में बनाए रखना चाहिए। इसे कभी यूं ही नहीं गंवाना चाहिए। उन्होंने कहाöहमारे बुनियादी मूल्य हैंöविविधता, सहिष्णुता, सहनशीलता और अनेकता में एकता, जिन्हें वर्षों से हमारी सभ्यता ने संजोकर रखा और उसका जश्न मनाया। इन्हीं मूल्यों ने हमें सदियों तक एक साथ बांधे रखा। कई प्राचीन सभ्यताएं खत्म हो गईं लेकिन एक के बाद एक आक्रमण और लंबे विदेशी शासन के बावजूद अगर भारतीय सभ्यता बची है तो यह अपने मूल्यों के कारण ही संभव हुआ है। राष्ट्रपति ने हालांकि बिसाहड़ा का नाम तो नहीं लिया पर जाहिर है कि वह दादरी कांड से खासे चिंतित दिखे। निश्चित रूप से दादरी की दुखद घटना ने देश के दिल को आहत तो किया ही है, दुनिया में भारत की छवि को ऐसी घटनाओं से धक्का लगता है। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसका सार्वजनिक रूप से इजहार भी किया है। इतना ही नहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इसी भावभूमि में राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी कर माहौल बिगाड़ने वाली घटनाओं पर सख्त कार्रवाई का परामर्श दिया है। इस बीच बिसाहड़ा में बुधवार को डीएम की मौजूदगी में दोनों समुदाय के लोगों की पंचायत हुई। दोनों ओर के लोगों ने हाथ उठाकर एक साथ गांव में रहने की हामी भरी। पंचायत में अखलाक के तीनों भाई पहुंचे। उन्होंने कहा कि अब वे गांव छोड़कर नहीं जाएंगे। अखलाक के सबसे बड़े भाई जमील गांव के बाहर आकर मीडिया से मिले। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि अब गांव छोड़ दीजिए। पंचायत में अखलाक के छोटे भाई जान मोहम्मद ने कहा कि हम गांव छोड़कर क्यों जाएं? यह गांव हमारा है, हम लोग यहीं पैदा हुए हैं, यहीं रहेंगे। अखलाक के बच्चे भी वापस आएंगे। अब गांव में अमन कायम हो गया है। हमारा तो हमेशा से यह मानना रहा है कि ऐसे सांप्रदायिक हादसों को गांव के सभी पक्षों के बुजुर्गों को एक साथ बैठकर सुलझा लेना चाहिए। जहां प्रशासन और सरकार आई वहीं सियासत की रोटियां सेंकने वाले कुछ सियासी भेड़िए पहुंचकर माहौल में आग लगा देते हैं। और एक बार तनाव भरे माहौल में ये सियासी नेता घुस जाएं तो फिर मामला सुलझना मुश्किल हो जाता है और देश-विदेशों में भारत की छवि खराब होती है। राष्ट्रपति की नेक सलाह पर सभी गौर करें।

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