Wednesday, 21 October 2015

रहस्य और तलवार एक ही हत्याकांड पर दो विपरीत फिल्में

पिछले दिनों मैंने दो ऐसी हिन्दी फिल्में देखीं जो एक सच्ची घटना पर आधारित हैं। कुछ साल पहले नोएडा में एक दोहरा हत्याकांड हुआ था जिसमें एक बच्ची और उसी घर के घरेलू नौकर की हत्या हुई थी। इस पर आधारित मैंने दोनों फिल्में देखींöरहस्य और तलवार। केके मेनन और टिस्का चोपड़ा स्टाडर रहस्य भी इसी हत्याकांड पर बनी है और अब मेघना गुलजार की फिल्म तलवार जिसमें इरफान खान प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। सात साल पहले हुई दिल दहला देने वाली घटना के निष्कर्ष पर विवाद आज भी बना हुआ है। तलवार फिल्म में दिखाई गई घटनाओं को पर्दे पर मेघना ने ऐसे असरदार ढंग से पेश किया है जिसे देखने के बाद आरुषि मर्डर केस की पुलिसिया जांच, जांच में आला अफसरशाही का दबाव, सरकारी एजेंसियों का आपसी टकराव और अहम की लड़ाई को लेकर ऐसी डिबेट शुरू होती है, जो शो खत्म होने के बाद अक्सर मॉल में, किसी रेस्तरां में लंबे वक्त तक चलती है। साकेत कॉलोनी में अपने पति के साथ तलवार देखने आई एक महिला जो शिक्षित हाउस वाइफ हैं कहती हैं कि मैंने इससे पहले नोएडा में हुए दोहरे हत्याकांड की पृष्ठभूमि में केके मेनन और टिस्का चोपड़ा स्टाडर फिल्म `रहस्य' भी देखी थी, लेकिन सात साल पहले हुई दिल दहला देने वाली इस घटना ने मुझे झकझोर कर रख दिया। महिला के मुताबिक इस केस की शुरुआती पुलिस जांच रिपोर्ट मीडिया में आने के बाद मैंने अपने घरेलू नौकर को हटा दिया था, लेकिन तलवार देखने के बाद मुझे लग रहा है कि मैंने उस वक्त गलती की। उन्होंने कहाöहमेशा अखबारों में पुलिस और सीबीआई जांच रिपोर्ट के बारे में पढ़ा था लेकिन वहां मामला फिल्म में एकदम फर्प था। `रहस्य' फिल्म में हत्यारा बच्ची की मां को दिखाया गया है जबकि `तलवार' फिल्म में माता-पिता निर्दोष हैं और नौकर के दोस्त हत्यारे थे अब दोनों फिल्मों में जमीन-आसमान का फर्प है। सबसे दुखद पहलू तो यह भी है कि अभी मामला अदालत में चल रहा है। माता-पिता जेल में बंद हैं और यहां फिल्म वालों ने अपनी ओर से केस साल्व भी कर लिया है। प्रश्न यह भी उठता है कि क्या इन फिल्मों का अदालती कार्रवाई पर असर नहीं पड़ेगा? `तलवार' फिल्म में तो मां-बाप बिल्कुल निर्दोष दिखाए गए हैं जिन्हें जबरन फंसाया जा रहा है। यूपी पुलिस और सीबीआई की जांचों में कितना फर्प है यह भी बारीकी से दिखाया गया है। कौन सही है कौन नहीं, इसका फैसला करना तो अदालत का काम है पर इतना जरूर कहा जा सकता है कि अदालत के सामने भी इस केस को सुलझाने की चुनौती कम नहीं है। पता नहीं उस 14 वर्षीय बच्ची और घरेलू नौकर हत्याकांड में असल क्या हुआ, इस पर से प्रभावी ढंग से पर्दा उठेगा भी या नहीं?
-अनिल नरेन्द्र



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