Tuesday, 20 October 2015

कांटे की टक्कर नहीं आर-पार की लड़ाई बन गया बिहार चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव में राजग और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर नहीं है बल्कि यूं कहें कि मामला अब आर-पार की लड़ाई का बन गया है। दूसरे चरण के बाद भी राजनीतिक दलों के हाथ क्या लगा? इसका पता लगाने में पार्टियां नाकाम साबित हो रही हैं। पिछली बार की अपेक्षा इस बार मतदान अधिक हुआ है। यह अधिक मतदान किस पार्टी के खाते में है यह किसी को पता नहीं है। अपने-अपने अनुमान लग रहे हैं। अमूमन मतदान के बाद कुछ स्थिति साफ हो जाती है कि मतदान का रुख किस ओर है लेकिन इस बार यह पता लगाने में पार्टियां असफल लग रही हैं। महागठबंधन और राजग के बीच कांटे की टक्कर साफ दिख रही है। बिहार चुनाव को लेकर अब तक जो परिदृश्य तैयार हुआ है उसमें अब लगभग यह तय हो चुका है कि अपनी जीत और हार में खुद नीतीश कुमार की कोई भूमिका नहीं होने वाली। उनकी जीत होती है तो उसकी वजह लालू प्रसाद यादव होंगे और अगर हार होती है तो भी उसकी वजह लालू ही होंगे। पूरे बिहार में चुनाव के केंद्रबिन्दु लालू प्रसाद बन गए हैं, जो गठबंधन के खिलाफ वोट का मूड बना चुका है वह इसके पीछे लालू यादव की मौजूदगी को ही मुख्य वजह बता रहा है। उधर महागठबंधन के पक्ष में वोट देने को तैयार हैं, वह भी उसकी वजह लालू जी को ही मान रहे हैं। बिहार के लोग अपने राज्य के हालिया मुख्यमंत्रियों में सबसे बेहतर नीतीश कुमार को ही मानते हैं। किसी भी जाति, मजहब या विचारधारा के व्यक्ति से बात कीजिए वह बतौर सीएम नीतीश की ही तारीफ करता दिखेगा। दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने बिहार में मोदी की हार की भविष्यवाणी भी कर दी है। आप के सूत्रों के मुताबिक दो फेज की वोटिंग के बाद बिहार से नीतीश टीम ने उनके पास यह जानकारी भेजी कि अनुमान से ज्यादा सीटें महागठबंधन जीत रहा है। दूसरी ओर एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने मुझे बताया कि इन्हें (महागठबंधन नेताओं) जो कहना है कहें पर हमारी जीत तय है और जीत भी साधारण नहीं होगी। लैंडस्लाइड विक्टरी होगी। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में इन्वाल्व नहीं होना चाहिए था। उन्होंने खुद इस चुनाव को नरेंद्र मोदी बनाम नीतीश कुमार के रूप में प्रोजेक्ट कर दिया है। वह इस चुनाव में अपनी पूरी साख को दांव पर लगाकर कूद गए। पीएम को ऐसे किसी राज्य के चुनाव में अपने आपको इतना इन्वाल्व नहीं करना चाहिए था। इसके दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं। यदि राजग चुनाव में हार जाता है तो निश्चित रूप से इसका असर न केवल मोदी पर पड़ेगा बल्कि भावी राष्ट्र सियासत पर भी पड़ेगा।

-अनिल नरेन्द्र

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