सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र
पुलिस एक्ट के उस संशोधन पर स्थगन देकर महाराष्ट्र में डांस बार शुरू करने का रास्ता
साफ कर दिया है जिसके जरिये डांस बारों पर यह प्रतिबंध लगाया गया था। शीर्ष अदालत ने
मायानगरी में राज्य सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी पर स्थगन आदेश देते हुए शर्त लगाई
है कि बार बालाओं का डांस अश्लील नहीं होना चाहिए। उधर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस
ने कहा है कि अंतिम सुनवाई में सरकार पाबंदी जारी रखने पर जोर देगी। विपक्षी दलों ने
भी रोक हटने का विरोध किया है। पाबंदी से इस पेशे से जुड़े लगभग एक से डेढ़ लाख लोगों
का बेरोजगार होने का अंदेशा खड़ा हो गया था। राज्य पुलिस ने 2005 में पहली बार बारों में नृत्य के खिलाफ अभियान चलाया था। हालांकि पांच सितारा
होटलों सहित चर्चित प्रतिष्ठानों को इससे छूट दी गई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने भी
सभी प्रतिष्ठानों पर नृत्य की पाबंदी लगाने के लिए एक कानून पारित किया था। हाई कोर्ट
ने 12 अप्रैल 2006 को सरकार के फैसले को
निरस्त करते हुए इस प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया और कहा था कि यह नागरिकों को
कोई भी पेशा, कारोबार या व्यापार करने की इज्जात देने वाले संविधान
के अनुच्छेद 19(1)(जी) के खिलाफ है। भारतीय
होटल और रेस्तरां संघ के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले का स्वागत करते हुए
कहा कि जिस तरह से महाराष्ट्र सरकार ने नियमों को दरकिनार कर प्रतिबंध लगाया था उससे
हमें जीत का पूरा भरोसा था। बार गर्ल्स एसोसिएशन की महासचिव वर्षा काले ने कहा कि अब
उन्हें महाराष्ट्र सरकार से सकारात्मक कदम की उम्मीद है। बेशक इस स्थगन आदेश से बार
बालाओं की उम्मीदें जगी हैं पर इसके बावजूद करीब एक दशक बाद डांस बारों की शुरुआत आसान
नहीं होगी। कांग्रेस और एनसीपी भी बारों के खोलने का विरोध कर रही हैं। उन्होंने इस
मुद्दे पर राज्य सरकार को समर्थन देने की घोषणा की है। विधानसभा में विपक्ष के नेता
राधाकृष्ण विखे पाटिल ने राज्य सरकार से कहा है कि वर्तमान कानून में जो खामियां हैं
उसे दूर करके नया कठोर कानून लाया जाए। बार बालाओं को बेशक कुछ राहत महसूस होगी पर
अभी तो असल लड़ाई बाकी है और लंबा रास्ता तय करना होगा।
-अनिल नरेन्द्र
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