Sunday 20 March 2016

अमन का पैगाम देता है इस्लाम

अमन और भाईचारे के लिए इस्लाम की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि अल्लाह के 99 नामों में किसी का भी मतलब हिंसा से नहीं है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ टकराव नहीं है और आतंक व धर्म को अलग करना चाहिए। यह बात मोदी ने तीन दिवसीय प्रथम विश्व सूफी मंच के कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कही। इस कार्यक्रम में पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, मिस्र समेत 20 देशों के आध्यात्मिक नेताओं, विद्वानों और शिक्षाविदों समेत 200 लोगों के प्रतिनिधिमंडल ने अपनी तरह के इस पहले सूफी सम्मेलन में हिस्सा लिया। इसे कट्टरपंथी इस्लाम के खिलाफ तेजी से उभरते जनमत का प्रतीक माना जाए तो गलत नहीं होगा। मोदी ने कहा कि इन आतंकियों ने अजान और प्रार्थना की जगहों पर हमले किए और ऐसे वक्त में सूफीवाद एक नूर की तरह है, जो हिंसा से सहमी दुनिया को एक रोशनी दिखा सकता है। इस्लाम शांति का धर्म है और सूफी पंथ इसकी आत्मा है। पीएम मोदी ने कहा कि जब हम अल्लाह के 99 नामों की बातें करते हैं तो इनमें से कोई भी हिंसा की बात नहीं करता। हजरत निजामुद्दीन ने कहा था कि परवरदिगार उन्हें प्यार करता है जो इंसानियत से प्यार करते हैं। सूफीवाद के संदेश को आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म से टकराव नहीं है। यह मानवता के मूल्यों और अमानवीयता की ताकतों के बीच संघर्ष है। इस संघर्ष को सिर्प सैन्य, खुफिया या कूटनीतिक तरीकों से नहीं लड़ा जा सकता। यह ऐसी लड़ाई है जिसे हम मूल्यों की ताकत और धर्म के वास्तविक संदेश के माध्यम से जीत सकते हैं। उन्होंने कहा कि सूफी पंथ से जुड़े इन संतों ने मानवता से प्रेम करने का मंत्र दिया। पीएम ने बताया कि 2015 में ही 90 से अधिक देशों ने आतंकी हमले झेले। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के बीच भाईचारे का नारा देते हुए उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य सबका साथ सबका विकास है। इस्लाम का असली मतलब ही शांति है। अगर हम ईश्वर को प्यार करते हैं तो उसकी सभी रचनाओं से हमें प्यार करना होगा। सूफीवाद भाईचारा का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि बाबा फरीद की कविताएं और गुरुग्रंथ साहिब की रचनाओं में समानता है। उन्होंने कहा कि सूफी पंथ के सहारे ही न केवल इन आतंकी ताकतों का मुकाबला किया जा सकता है बल्कि इसके जरिये ही दुनिया में अमन-चैन लाया जा सकता है। अल्लाह इज रहमान एंड रहीम, यह विचारधारा भेदभाव नहीं सिखाती।

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