Thursday 24 March 2016

पेरिस के बाद अब ब्रसेल्स

आतंक ने एक बार फिर यूरोप को निशाना बनाया है। बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स के एयरपोर्ट और एक मेट्रो स्टेशन पर मंगलवार को हुए सिलसिलेवार 3 धमाकों में कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा घायल हो गए हैं। ब्रसेल्स को यूरोपियन यूनियन की राजधानी के तौर पर देखा जाता है। इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। सिर्प चार दिन पहले बेल्जियम की पुलिस ने नवंबर में हुए पेरिस हमले के मुख्य साजिशकर्ता सालेह अब्देसलाम को ब्रसेल्स के मेट्रो स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया था। माना जा रहा है कि ये आतंकी हमला उसी का बदला है। बेल्जियम के पधानमंत्री चार्ल्स माइकल ने बताया कि एयरपोर्ट पर हुए हमले में फिदायीन शामिल थे। उन्होंने कहा कि हम युद्ध के हालात से गुजर रहे हैं। एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले में बड़ी संख्या में भारतीय यात्री बाल-बाल बच गए। उस समय भारत की निजी एयरलाइंस जेट एयरवेज के कई विमान हवाई अड्डे पर मौजूद थे। बम धमाके से 50 मिनट पहले एक विमान मुबंई से एयरपोर्ट पर उतरा था जबकि दिल्ली से पहुंचा एक अन्य विमान हमले के दस मिनट बाद उतरा। सभी भारतीयों को एयरपोर्ट से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। हालांकि वहां 600 से ज्यादा भारतीय फंसे हुए हैं। जिस जगह धमाका हुआ वह यूरोपियन यूनियन की मुख्य बिल्डिंग से थोड़ी ही दूर है। एयरपोर्ट पर धमाके अमेरिकी एयरलाइंस के डिपार्चर एरिया के मुख्य हाल में हुए। विस्फोट इतने जबरदस्त थे कि पूरा हाल तहस-नहस हो गया। पास खड़े विमानों की खिड़कियों के शीशे भी टूट गए। पुलिस को तलाशी के दौरान एक बम मिला जिसे निष्किय कर दिया गया। बिना इस्तेमाल हुई विस्फोटकों से लदी बेल्ट और एक हमलावर के शव के पास से वलाश निकोव राइफल भी मिली। पत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बम विस्फोट से पहले हमलावरों ने गोलीबारी की और अरबी भाषा में नारे भी लगाए। सेना ने एक आतंकी को मार गिराया। मिस्त्र के दैनिक अल वतन ने इस्लामिक स्टेट (आईएस) के हवाले से इस ब्रसेल्स हमले की जिम्मेदारी ली है। पिछले दिनों सीरिया के गृह युद्ध के चलते लाखों शरणार्थी यूरोप में शरण लेने पहुंचे हैं। कहा जा रहा है कि इस्लामिक स्टेट ने इन शरणार्थियों के बीच अपने फिदायीन भी यूरो में घुसा दिए हैं। आज पूरा यूरोप आतंक के खतरे से जूझ रहा है। कुछ ही समय पहले पेरिस में भी हमला हुआ। भारत तो बहुत वर्षों से इस्लामिक आतंकवाद का शिकार रहा है। यह कितना खतरनाक है आज यूरोप को भी एहसास हो रहा है।

No comments:

Post a Comment