Tuesday, 1 March 2016

बहुत खौफनाक थी मुरथल की वो रात!

हरियाणा के जाटों को आरक्षण मिले या न मिले पर इसकी आड़ में जो 22 23 फरवरी को एनएच-1 पर मुरथल के पास जो कुछ हुआ उससे जाट समुदाय की इज्जत को भारी क्षति पहुंची है। दुनिया की नजरों में जाट समुदाय की छवि और सम्मान दोनों को भारी धक्का लगा है जिसकी पूर्ति शायद कभी न हो। एक ऐसा काला धब्बा लगा है जो धुल नहीं सकता। हरियाणा में जाट आंदोलन की हिंसा की लपटों ने सामाजिक संवेदना को किस कदर झुलसा दिया है, उसके डरावने अक्स अब खुलने लगे हैं। घायलों के दम तोड़ते जाने से मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं। उद्योग संगठनों के आंकलन के मुताबिक करीब एक हजार करोड़ की सम्पत्ति खाक कर दी गई। सबसे घिनौनी और शोचनीय तस्वीर तो सामूहिक बलात्कार की कथित घटनाओं से उभरती है। ऐसी ही एक घटना कथित तौर पर दिल्ली से सटे मुरथल की उभर कर आई है। बीती 22 23 फरवरी को दिल्ली-चंडीगढ़ हाइवे पर राजधानी से महज 48 किलोमीटर दूर मुरथल जो ढाबों के लिए मशहूर है यहां महिलाओं का उत्पीड़न हुआ या नहीं, यह तो प्रदेश सरकार व पुलिस प्रशासन की जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन हाई कोर्ट की फटकार के बाद सरकार व पुलिस बेहद गंभीर दिख रही है। कुछ तो हुआ था तड़के तीन बजे के करीब... ऐसे तो नहीं फैलती कोई इस प्रकार की खबर। यह कहना था सुखदेव ढाबे के पास बने एक नामी होटल के वेटर का। उसने दावा किया कि रेप की घटना हुई थी। साहब कुछ तो हुआ है। दंगाइयों ने पहले कारों को आग लगाई और उसके बाद महिलाओं को निशाना बनाया। जहां इस वारदात को अंजाम दिया गया वहां से शुक्रवार को तड़के तक लेडीस इनरवेयर, लेगिंग्ज और अन्य कपड़े मिले हैं। इन्हें दोपहर बाद स्पॉट से हटा दिया गया। दूसरी तरफ डीएसपी सतीश कुमार ने इस घटना को अफवाह बताकर रेप की घटना से साफ तौर पर इंकार किया है। घटनास्थल से 50 मीटर की दूरी पर मशहूर सुखदेव ढाबा है। यहां की पार्किंग में 20 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। लोगों का कहना है कि अगर गैंगरेप के बाद महिलाएं मदद के लिए भागीं तो उनकी तस्वीर सीसीटीवी फुटेज में जरूर कैद हुई होगी। फुटेज से घटना की सच्चाई जानने में मदद मिल सकती है। हसनपुर के सरपंच जय नारायण ने इस घटना से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि गांव में अगर कुछ ऐसा होता तो उन्हें पता चल जाता। यह सब गांव को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। आंदोलन के दौरान 10 महिलाओं से गैंगरेप की घटना के बाद जब सरकार के आला अधिकारियों ने सोनीपत का दौरा किया तो एक पीड़ित परिवार ने अपने साथ मारपीट की बात तो कबूली पर छेड़खानी या लूटपाट से इंकार किया। गन्नौर के डीएसपी सतीश कुमार ने बताया कि कथित गैंगरेप मामले की गहनता से छानबीन की जा रही है। फोरेंसिक टीम खेतों में बरामद कपड़ों को जांच के लिए ले गई है। उसका कहना था कि ऐसा लगता है कि वे पुराने कपड़े हैं जिन्हें फेंका गया है। बहरहाल पुलिस ने एक कंट्रोल रूम भी बनाया है जहां पीड़ित पक्ष पुलिस या कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं। अराजक आंदोलन के दौरान भड़की Eिहसा से आहत हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक बार तो इस्तीफा देने को तैयार हो गए थे। उन्होंने यह निर्णय जाट मंत्रियों की ओर से सही जानकारी न देने के कारण लिया था। रेवाड़ी से भाजपा विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने दावा किया कि जाट मंत्रियों की भूमिका से आहत सीएम पद छोड़ना चाहते थे। उनका कहना है कि जाट मंत्रियों ने सीएम को हिंसा की सही रिपोर्ट नहीं दी। वह लगातार जाट समाज को मना लेने की बात कहते रहे, जबकि हिंसा बढ़ती चली गई। Eिहसा करने वालों की पाश्विकता की तो जितनी निंदा की जाए कम है और उन्हें खोजकर कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चहिए। पुलिस-प्रशासन की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। जाट आंदोलन के नेताओं को भी ऐसी घटनाओं के लिए कम से कम सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और उन अपराधियों को तलाश कर अदालत के सामने लाना चाहिए। आंदोलन करने का अधिकार सबको है मगर जिस आंदोलन से ऐसी नृशंसता फैलने लगे, उसका कोई औचित्य नहीं बनता।

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