Wednesday, 23 March 2016

उत्तराखंड ः सदन में संख्या बल साबित करना होगा

अक्सर देखा गया है कि छोटे राज्यों में राजनीतिक अस्थिरता अक्सर रहती है। इन राज्यों में राजनीतिक अस्थिरता किस तरह रह-रहकर सिर उठाती है इसका ताजा उदाहरण है उत्तराखंड। उत्तराखंड में हरीश रावत की कांग्रेस सरकार संकट में आ गई है। नौ कांग्रेसी विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत कर दी है। हरीश रावत सरकार का भविष्य अधर में है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि बागी विधायकों में पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी शामिल हैं। याद रहे कि कांग्रेस हाई कमान ने अचानक विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को इसलिए सत्ता सौंपी थी, क्योंकि वह अपने ही विधायकों के असंतोष से जूझ रहे थे। अब वही स्थिति हरीश रावत की बनी है। वैसे उत्तराखंड जब से बना है महज एक ही मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा किया है। इस बगावत के चलते भाजपा को भी अपना मुख्यमंत्री बदलना पड़ा था। दुख से कहना पड़ता है कि यह सियासी पार्टियां जनादेश का सम्मान नहीं करतीं। राज करने का मैनडेट किसी को मिलता है और राज कोई और करता है। विधानसभा में कुल 71 (एक मनोनीत) विधायक हैं। विद्रोह से पहले कांग्रेस के 36, भाजपा के 28 और छह अन्य थे। सदन में बहुमत का आंकड़ा 36 है। कांग्रेस के नौ बागियों की वजह से कांग्रेस की हरीश रावत सरकार अल्पमत में आ गई है। नौ विधायकों की बगावत के बाद शनिवार को राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को 28 मार्च तक सदन में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है। इससे सरकार की बर्खास्तगी, राज्यपाल शासन लगाए जाने जैसी अटकलों पर फिलहाल विराम लग गया है। दूसरी तरफ हरीश रावत ने कैबिनेट मीटिंग बुलाकर विपक्ष को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि सरकार न केवल वजूद में है, बल्कि सामान्य तरीके से काम कर रही है। इसके बाद सीएम रावत ने बागी हरक सिंह रावत को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया है। कांग्रेस के बागियों की सदस्यता निरस्त किए जाने की तैयारी भी शुरू हो गई है। कांग्रेस मुख्य सचेतक इंदिरा हृदयेश ने बागियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग विधानसभा अध्यक्ष से की। इसके बाद तमाम बागियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। संविधान विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार वर्तमान स्थिति में विधानसभा में हरीश रावत को अपना बहुमत सिद्ध करना जरूरी है। उसी तरह बागियों व विपक्षियों को सदन में ही अपना संख्या बल साबित करना चाहिए। जनादेश की मनमानी व्याख्या को रोका जाना चाहिए और राजनीतिक अस्थिरता का वर्तमान दौर जल्द से जल्द समाप्त होना चाहिए।

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