Thursday, 10 March 2016

जेएनयू के जहर उगलते ये वाम प्रोफेसर

पिछले दिनों जेएनयू में देशद्रोही गतिविधियों से जहां कुछ छात्र एक्सपोज हुए हैं, वहीं यह बताना जरूरी है कि छात्रों के दिमाग-विचार दूषित करने वाले जेएनयू के अध्यापकों की वातावरण दूषित करने में कम भूमिका नहीं है। यह शिक्षक छात्रों को भड़काते हैं और उन्हें आगे करके खुद पर्दे के पीछे छिपे रहते हैं। देशद्रोह के मामले पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में मचे हंगामे के बीच नया वीडियो सामने आया है। यू-ट्यूब पर उपलब्ध इस वीडियो क्लिप में जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की प्रोफेसर निवेदिता मेनन यह कहती नजर आ रही हैं कि कश्मीर पर भारत का गैर कानूनी कब्जा है और समूचा विश्व ऐसा मानता है। खास बात यह है कि कैंपस में यह बात प्रोफेसर मेनन रोजाना प्रशासनिक खंड के बाहर लगने वाली राष्ट्रवाद की पाठशाला में कह रही हैं। जेएनयू प्रशासनिक खंड के बाहर हुई इस क्लास में सेंटर फॉर कम्परेटिव पॉलिटिक्स एंड पॉलिटिकल थॉट की प्रोफेसर निवेदिता मेनन कह रही हैं कि दुनिया में माना जाता है कि कश्मीर पर भारत ने गैर कानूनी तौर पर कब्जा किया हुआ है। अकसर पत्रिकाओं में ऐसे नक्शे प्रकाशित होते हैं जिसमें दिखाया जाता है कि कश्मीर भारत का अंग नहीं है। जब दुनियाभर में कश्मीर पर भारत के गैर कानूनी कब्जे की बात हो रही है तो हमें सोचना चाहिए कि कश्मीर की आजादी का नारा गलत नहीं है। यह नारा एकदम जायज है। गत 27 फरवरी को सामने आए इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि हम नहीं कर सकते पर इस विषय पर जब एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक साकेत बहुगुणा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रोफेसर मेनन का यह बयान सुनकर उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई है। वह और उनके जैसे अन्य वामपंथी विचारधारा के समर्थक प्रोफेसर लगातार ऐसी बातें करते रहते हैं। आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जो प्रोफेसर राष्ट्रवाद की पाठशाला के नाम पर कैमरे के सामने बच्चों को ऐसा पाठ पढ़ाते हैं तो वह कक्षाओं में क्या करते होंगे? जेएनयू के अन्य प्रोफेसर ने आरोप लगाया है कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी को लेकर जेएनयू में उस कार्यक्रम आयोजन पर विवाद विश्वविद्यालय को बदनाम करने का रचा षड्यंत्र था जिस दौरान कथित तौर पर देश विरोधी नारेबाजी हुई। जेएनयू प्रोफेसर एवं जानी-मानी अर्थशास्त्री जयंती घोष ने राजग की देश विरोधी नीतियां विषयक एक व्याख्यान के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए कहाöवह विश्वविद्यालय को बदनाम करने के लिए रचा गया षड्यंत्र था और इसकी योजना उच्च स्तर पर बनाई गई थी। कार्यक्रम के दौरान जो लोग मौजूद थे उनमें तीन नकाबपोश लोग थे जिन्होंने देश विरोधी नारेबाजी की और यह परोक्ष रूप से गुप्तचर ब्यूरो के थे। हमारा यही संदेश है।

-अनिल नरेन्द्र

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