Monday, 29 February 2016

संजय का जेल साथियों को अंतिम संदेश ः जुर्म से किसी का भला नहीं हुआ

करीब 42 महीने तक जेल की सजा काटने के बाद संजय दत्त 25 फरवरी को जेल से रिहा हो गए। गुरुवार सुबह 8.40 बजे यरवदा जेल से बाहर आते ही संजय ने धरती को प्रणाम किया और जेल में लगे तिरंगे को सैल्यूट किया। संजय दत्त की तिरंगे को सलामी फिल्मी सीन था। यह फिल्म उनके जीवन पर बन रही है और इसे बना रहे हैं राजकुमार हिरानी। जब संजय दत्त तिरंगे को सैल्यूट कर रहे थे, हिरानी वहीं मौजूद थे। जेल रेडियो के लिए बुधवार को आखिरी एपिसोड रिकार्ड किया गया था, जिसमें संजय ने कहाöगुड आफ्टरनून भाई लोग। अपुन जब तक कनैक्ट होंगे, तब तक मैं जा चुका होऊंगा। तुम लोगों के लिए यह लास्ट मैसेज छोड़कर जा रहा हूं। जुर्म करके किसी का भला नहीं हुआ। सच्चाई की राह पर चलना भाई लोग। मुंबई पहुंचकर संजय सिद्धि विनायक मंदिर गए, फिर मां नर्गिस की कब्र पहुंचे। बाद में प्रेस कांफ्रेंस कर पिता सुनील दत्त को याद किया। राजकुमार हिरानी उन्हें पूना से मुंबई चार्टर्ड प्लेन से लेकर आए। बेशक संजय दत्त अवैध हथियार रखने की सजा काटकर आखिर जेल से बाहर आ गए फिर भी विवादों से उनका पीछा अभी तक पूरी तरह नहीं छूटा। एक पत्रकार के जवाब में संजय को कहना पड़ा कि मैं टेरेरिस्ट नहीं हूं मैं तो आर्म्स एक्ट के तहत अंदर गया था। कहा यह भी गया कि पांच साल की सजा पूरी होने से डेढ़ साल पहले ही उन्हें क्यों छोड़ दिया? मगर कम लोग जानते हैं कि मौजूदा व्यवस्था में जेल प्रशासन का सजा में छूट देने का अधिकार एक जरूरत के रूप में स्वीकार किया गया है। जेल प्रशासन इस अधिकार का इस्तेमाल लगभग हर कैदी के मामले में पूरी उदारता से करता है। क्योंकि कैदियों के लिए अच्छे व्यवहार को आकर्षक बनाए रखने का इससे बेहतर तरीका कोई और नहीं है। सुनील दत्त और नर्गिस जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों का इकलौता बेटा होने के बावजूद संजू का जीवन कड़वे अनुभवों से भरा रहा। बॉलीवुड में बतौर हीरो पहली फिल्म रॉकी रिलीज होते ही नर्गिस दुनिया से चली गईं। प्रोफेशनल कामयाबी और पर्सनल ट्रैजिडी का यह मेल संजय दत्त की जिन्दगी में लंबा चला। मां के गुजरने का गम उन्हें ड्रग्स की अंधेरी दुनिया में ले गया। वहां से निकलकर जिन्दगी को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश की, तो बॉलीवुड ने उनका भरपूर साथ दिया। निस्संदेह 1985 से 1993 तक के अपने कामयाब दौर में संजय दत्त ऐसे स्टार बन चुके थे जिनकी खराब फिल्में भी बॉक्स ऑफिस में हिट हो रही थीं। इसी माहौल में मुंबई बम ब्लास्ट से जुड़े केस सामने आए और संजय का जेल के भीतर-बाहर होने का सिलसिला शुरू हो गया। नतीजा यह हुआ कि बॉलीवुड एक झटके में चॉकलेट हीरो वाले दौर में चला गया। बहरहाल कठिन दौर को पीछे छोड़ संजय एक नई पारी शुरू करने वाले हैं। उम्मीद करें कि यह दौर उनके साथ-साथ फैंस के लिए भी रोमांचकारी सिद्ध होगा।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment