Sunday 21 February 2016

सिरफिरे आशिक की एकतरफा प्यार की दास्तान

हाल ही में स्नैपडील की लीगल एग्जीक्यूटिव दीप्ति सरना का बहुचर्चित अपहरण कांड सामने आया। सोमवार को जब पुलिस ने इसकी परतें खोलीं तो जो कहानी सामने आई वह किसी रोमांचक फिल्म की पटकथा को मात देती नजर आई। इस कांड को हरियाणा के तीन लाख के इनामी बदमाश देवेन्द्र ने अंजाम दिया, जो 16 साल की उम्र में कत्ल के जर्म में जेल जा चुका है। जेल में उसने जर्मनी के तानाशाह हिटलर और अपनी कूरता के लिए कुख्यात मंगोल शासक चंगेज खान की जीवनी पढ़ी। यही नहीं, शाहरुख की फिल्म `डर' से वह काफी प्रभावित है, जिसमें नायक एकतरफा प्रेम में पागल रहता है। दीप्ति सरना से एकतरफा प्यार करने वाले देवेन्द्र ने उसकी निगाह में अपनी छवि हीरो की बनाकर उसके दिल में अपने लिए प्यार जगाने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया, लेकिन उसकी यह योजना धरी की धरी रह गई और पुलिस ने मुख्य आरोपी समेत अपहरण कांड में शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए जाने के बाद देवेन्द्र ने फिल्मी अंदाज में कहा, `मुझ पर पहले से इतने केस चल रहे हैं, एक मुकदमा मोहब्बत का भी सही।' एसएसपी धर्मेन्द्र ने बताया कि एक साल पहले जनवरी 2015 में देवेन्द्र ने दीप्ति को दिल्ली के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर देखा और उसे पहली नजर में ही दीप्ति से प्यार हो गया। पहले ही दिन उसने मन में ठान लिया कि वह दीप्ति को हासिल करके रहेगा। इसके बाद उसने दीप्ति का पीछा करना शुरू किया। उसके मेट्रो स्टेशन आने के समय का देवेन्द्र ने रेकी कर पता लगा लिया और उसकी प्रतिदिन की गतिविधियों व पहनावा देखने के लिए मेट्रो स्टेशन आने लगा। पिछले एक साल में देवेन्द्र ने करीब 150 बार दीप्ति की रेकी की और उसके घर तक भी पहुंचा। इस एक साल में उसने कभी भी दीप्ति से बात करने की कोशिश नहीं की। घटना के दिन योजना के मुताबिक देवेन्द्र, प्रदीप व हामिद ऑटो में थे और मोहित, फहीम व माजिद स्विफ्ट कार में थे। दीप्ति 7.40 बजे वैशाली मेट्रो स्टेशन से बाहर निकली और देवेन्द्र के आगे वाले ऑटो को ओवरटेक किया और साहिबाबाद मंडी के पास दीप्ति वाले ऑटो का चक्का पंचर कर दिया। इस दौरान दीप्ति व उस पर बैठी एक और लड़की देवेन्द्र वाले ऑटो में आ गईं। इसके बाद बदमाश आगे बढ़े और ऑटो में बैठी दूसरी लड़की को चाकू की नोक पर मेरठ तिराहे पर उतार दिया और राजनगर एक्सटेंशन के पास दीप्ति को अगवा कर लिया। देवेन्द्र दीप्ति को अपने गांव कामी ले गया। वहां एक निर्माणाधीन मकान में रात व दिन रखा। उस दौरान देवेन्द्र ने दीप्ति का पूरा ख्याल रखा और खाने-पीने का सामान दिया। उसने यह सब दीप्ति के मन में प्यार जगाने के लिए अपने दोस्तों की बुराई की और साथ रहने को कहा। अगले दिन सुबह छह बजे दीप्ति को सोनीपत के पास छोड़ दिया। डाक्टरों का कहना है कि डर फिल्म में उस कैरेक्टर को साइकोपैथ से जोड़कर देखा जा सकता है। इसमें भी एक खास तरह की बीमारी होती है,जिसे इरोटोमेनिया कहते हैं। इस कंडीशन में उस शख्स को यह गलतफहमी हो जाती है कि सामने वाले को उससे प्यार हो गया है। फिर उसके साथ वह उसी तरह से व्यवहार करने की कोशिश करता है या उसे पाने के लिए कुछ भी कर जाता है। हालांकि यह भी जरूरी नहीं है कि इस तरह की मनोस्थिति वाले अपराधी ही हों, लेकिन कई मौकों पर उनमें सोचने या समझने की क्षमता काम नहीं करती और वे किसी तरह की गलती कर जाते हैं। ये लोग फिल्म देखकर भी प्रभावित होते हैं। है न फिल्मी कहानी?

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