Tuesday 2 February 2016

...और अब दिल्ली सरकार की अपने अफसरों से ठनी

दिल्ली सरकार की केंद्र सरकार, उपराज्यपाल, नगर निगमों, दिल्ली पुलिस के बाद अब अपने ही अफसरों से ठन गई है। दिल्ली सरकार लगता है कि सिर्प लड़ाई और विवादों की राजनीति जानती है। अब इसका अफसरों से विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार ने अपने दो आला अफसरों को सस्पैंड मानते हुए उनकी सैलरी आधी कर दी है तो गृहमंत्री सत्येन्द्र जैन द्वारा वेतन की जगह निर्वाह भत्ता देने के आदेश में दोनों सस्पैंड अफसरों ने करारा जवाब दिया है। दिल्ली के गृहमंत्री सत्येन्द्र जैन ने जिन सचिवों को निलंबित किया था उन्होंने अपने हक को लेकर पहली बार मंत्री पर पलटवार करते हुए वेतन कटौती और निलंबन के आदेश को गलत ठहराया है। निलंबित किए गए विशेष सचिव यशपाल गर्ग और सुभाष चन्द्र मंत्री के फैसले को बेवजह बता रहे हैं। 27 जनवरी को मंत्री द्वारा जारी इस आदेश में लिखा है कि विशेष गृह सचिव यशपाल गर्ग और सुभाष चन्द्र निलंबित हैं लिहाजा छुट्टी पर रहने के दौरान सरकारी कर्मचारी को सिर्प गुजारा भत्ता मिलने का ही हक है। निलंबन के दौरान छुट्टी में वेतन 50 फीसदी और महंगाई भत्ता ही निलंबन वापसी तक दिया जाएगा। दोनों दानिक्स अधिकारियों का दूसरी ओर कहना है कि वह सीधे गृह मंत्रालय (केंद्र) के आधीन आते हैं। मंत्री के आदेश के बाद दोनों दानिक्स अधिकारियों ने मंत्री पर पलटवार करते हुए कहा कि वे निलंबित नहीं हैं, फिर उनकी सैलरी काटने का सवाल ही नहीं बनता। वह तो काम पर हैं। गृहमंत्री सत्येन्द्र जैन की तरफ से गृह विभाग के दोनों विशेष सचिव यशपाल गर्ग और सुभाष चन्द्र का निलंबन कायम रखकर वेतन काटने के आदेश को दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने अवैध करार दिया है। एक बार फिर उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच तकरार बढ़ना तय है। मुख्य सचिव केके शर्मा को भेजे गए पत्र में उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा है कि सत्येन्द्र जैन ने दोनों विशेष सचिवों को निर्वाह भत्ता देने का जो आदेश दिया है उसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है। क्योंकि सत्येन्द्र जैन की तरफ से 29 दिसम्बर 2015 को जारी निलंबन आदेश को गृह मंत्रालय बिना अधिकार के लागू किया गया फैसला करार दे चुका है। सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जब गृह मंत्रालय सत्येन्द्र जैन की तरफ से जारी आदेश को 31 दिसम्बर को ही अवैध करार दे चुका है तो ऐसे में इन अधिकारियों के खिलाफ अब प्रतिकूल कार्यवाही का कोई कारण नहीं बनता। माना जा सकता है कि दिल्ली सरकार की ओर से यह कवायद आला अफसरों के `पर' कतरने के लिए की गई है। जाहिर है कि दिल्ली सरकार ज्यादा से ज्यादा विवाद पैदा करने में विश्वास करती है। प्रधानमंत्री, उपराज्यपाल, नगर निगमों व सफाई कर्मचारियों व दिल्ली पुलिस के खिलाफ चलाए अभियान से यह स्पष्ट हो जाता है।

-अनिल नरेन्द्र

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