Tuesday 2 February 2016

चांडी घोटाले को लेकर बुरी फंसी कांग्रेस ः इधर कुआं उधर खाई

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर भ्रष्टाचार का मामला अभी थमा नहीं कि केरल के एक और कांग्रेसी मुख्यमंत्री ओमान चांडी पर घोटाले का आरोप सामने आ गया है। प्रदेश के सौर ऊर्जा घोटाले में मुख्यमंत्री पर एक करोड़ 90 लाख रुपए रिश्वत लेने का आरोप है। इस मामले की मुख्य आरोपी सरिता एस. नायर ने चांडी पर गंभीर आरोप लगाते हुए संबंधित जांच आयोग से कहा है कि मुख्यमंत्री को उसने एक करोड़ 90 लाख रुपए की घूस दी है। आरोपी ने तो राज्य के ऊर्जा मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता आयार्दन मोहम्मद को भी 40 लाख रुपए रिश्वत देने का आरोप लगाया है। हालांकि दोनों नेताओं ने इन आरोपों से इंकार किया है पर इससे सारे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ डंका बजाने वाली कांग्रेस पार्टी की किरकिरी तो हो रही है। चांडी को इस घोटाले में उच्च न्यायालय से तत्कालिक तौर पर भले ही राहत मिल गई हो लेकिन तथ्यों और सबूतों के आइने में उन्हें अपने पद पर एक मिनट भी बने रहने का नैतिक हक नहीं है। बेशक सौर ऊर्जा घोटाले की दूसरी अभियुक्त सरिता एस. नायर की छवि कोई कम दमदार नहीं है, बीजू राधाकृष्णन के साथ मिलकर करोड़ों का भ्रष्टाचार करने के बाद वह इस मामले में व्हिसलब्लोअर की तरह दिखाना चाहती हैं। लेकिन सौर ऊर्जा घोटाले की जांच के लिए गठित जस्टिस शिवराजन कमेटी के सामने उसने जो चौंकाने वाले खुलासे किए हैं उन्हें नजरंदाज भी नहीं किया जा सकता। लेकिन जैसा कि चांडी पहले कह रहे थे कि अदालत के आदेश के बाद भी उन्होंने यही दोहराया है कि वे निर्दोष हैं और उनका इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है। पर वे सचमुच दोषी हैं या निर्दोष, यह तो जांच के बाद तय होगा और इसका फैसला अदालत करेगी। लेकिन ऐसे कई कारण हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हट जाना चाहिए। एक तो इसलिए कि यह नैतिकता का तकाजा है और दूसरा यह तकाजा सिर्प उन तक सीमित नहीं है। वे एक राज्य सरकार के मुखिया हैं और जब तक वे भ्रष्टाचार के संगीन आरोप से घिरे हुए हैं उस सरकार की भी साख कठघरे में रहेगी। तीसरा, दबाव से पूरी तरह मुक्त और हर तरह की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के मकसद से भी चांडी का मुख्यमंत्री पद से हट जाना ही ठीक होगा। कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता मानते हैं कि चांडी के खिलाफ केस दर्ज करने के कोर्ट के आर्डर से पार्टी को डबल परेशानी पैदा हो गई है। पार्टी यदि इसी समय चांडी को इस्तीफा देने के लिए कह देती तो इसका साफ मतलब होता कि गलत किया है और पार्टी ने ही उन्हें दोषी मान लिया है? पार्टी यदि चांडी को हटने के लिए नहीं कहती है तो तीन महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनावों में उसे काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है। बुरी फंसी कांग्रेस इधर कुआं तो उधर खाई।

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