Saturday 6 February 2016

दिल्ली नगर निगम उपचुनावों से बदल सकते हैं समीकरण

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम के 13 वार्डों में तीन माह के भीतर उपचुनाव कराने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी व न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने सरकार से उस तर्प को खारिज कर दिया कि वर्तमान वित्त वर्ष में फंड आवंटित करना मुश्किल है ऐसे में निगम के अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव सितम्बर-अक्तूबर 2016 में करा लिए जाएं। खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि संविधान में तय है कि एक लंबे अरसे तक वार्डों के चुनाव नहीं टाले जा सकते। रिक्त सीट पर छह महीने में चुनाव कराना जरूरी है। दिल्ली नगर निगम के उपचुनाव से दिल्ली नगर निगम के अंदर के समीकरण बदल सकते हैं। विधानसभा चुनावों में जीत-हार के चलते पार्षदों की 13 सीटें खाली हैं। हाई कोर्ट ने अप्रैल माह तक इन पर उपचुनाव कराने  के निर्देश दिए हैं। दिल्ली विधानसभा के लिए थोड़े-थोड़े अंतराल पर हुए दो चुनावों ने निगमों की तस्वीर बदल दी। दरअसल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में निगम पार्षद राजेंद्र गहलोत, अनिल शर्मा, जितेंद्र सिंह शंटी, रामकिशन सिंघल और महेंद्र यादव ने जीत हासिल की। विधायक बनने के बाद इन्होंने पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में इन्हें हार का सामना करना पड़ा और यह न तो पार्षद रहे और न ही विधायक। इसी तरह 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की तरफ से लड़े बल्लीमारान से पार्षद इमरान हुसैन, छतरपुर से करतार सिंह तंवर, आरकेपुरम से प्रमिला टोकस, तुगलकाबाद से सहीराम, उत्तम नगर से नरेश बाल्यान और नांगलोई से रघुविंदर सिंह शौकीन ने जीत हासिल की। जीत के बाद इनकी भी पार्षद सीट खाली हो गई। पार्षद नहीं होने के चलते इन वार्डों में विकास कार्य बाधित होने की शिकायतें भी की जा रही हैं। इसके चलते निगम की ओर से खाली पड़ी इन सीटों पर उपचुनाव होना जरूरी हो गया है। दक्षिण दिल्ली नगर निगम में पार्षदों के सात पद खाली हैं। यहां पर कई बार सिर्प एक वोट से कई महत्वपूर्ण निर्णय होते रहे हैं। इसलिए यहां की सात सीटों पर जीतकर आने वाले प्रत्याशियों से भाजपा के बहुमत पर असर पड़ सकता है। हालांकि फरवरी 2017 में दिल्ली के तीनों नगर निगमों में चुनाव होने हैं, इसलिए अगर अप्रैल 2016 तक उपचुनाव होते भी हैं तो निगमों के कामकाज पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि केजरीवाल सरकार इन चुनावों से हिचक क्यों रही है।

-अनिल नरेन्द्र

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