Wednesday 24 February 2016

भारत-नेपाल की सारी गलतफहमियां दूर हुईं

बीते पांच महीनों से मधेसी आंदोलन के चलते भारत से नेपाल के रिश्तों में आई खटास अब दूर हो गई है। अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि दोनों देशों के बीच सारी गलतफहमियां दूर हो गई हैं। यह अच्छा हुआ कि भारत के दौरे पर आए नेपाल के प्रधानमंत्री ने खुले मन से यह स्वीकार कर लिया कि दोनों देशों के बीच जो गलतफहमी थी वह दूर हो गई है। यह इसलिए भी क्योंकि जो तल्खी स्वयं ओली और उनके मंत्रियों ने पिछले पांच महीनों में दिखाई थी, वह यात्रा के दौरान और समापन तक गायब रही। वैसे अच्छा होता कि यह काम और पहले हो जाता लेकिन कम से कम अब दोनों पक्षों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दोस्ती की राह में आगे कोई मतभेद न आएं। भारत की नीति कभी न नेपाल विरोधी थी, न हो सकती है। भारत कभी नेपाल या वहां के लोगों को हेय दृष्टि से देख ही नहीं सकता किन्तु नेपाल के पहाड़ी इलाकों में जिस तरह भारत विरोधी भावनाएं समय-समय पर भड़काई जाती हैं, उनसे परंपरागत द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ता है। जो संविधान नेपाल ने स्वीकार किया उसमें पूरे मधेस क्षेत्र के साथ अन्याय परिलक्षित होता है। ओली और उनके मंत्रियों ने व दूसरी पार्टी के नेताओं ने भी, उस अन्याय के कारण समझने के बजाय मधेसियों के स्वत स्फूर्त आंदोलन को भारत की साजिश करार दे दिया। आंदोलन के कारण भारत से आवश्यक सामग्री की आपूर्ति प्रभावित हुई, मधेसियों की नाकाबंदी से आई रुकावट को जानबूझ कर भारत की शरारत कहा गया। नरेंद्र मोदी के पुतले पूंके गए, भारतीय टीवी चैनल केबल से उतारे गए, भारतीय पिक्चरों का प्रदर्शन बंद हुआ, दूतावास पर हमले हुए। भारत ने पूरे प्रकरण में संयम दिखाया और एक शब्द भी नेपाल के खिलाफ नहीं बोला। भारत पहले दिन से यह कहता चला आ रहा है कि नेपाल के हित में ही उसका हित है और इसीलिए वह उसकी हरसंभव मदद करने को तैयार है। भारत की यह प्रतिबद्धता नेपाल के साथ हुई संधियों में दिखी भी। नेपाल के साथ जो नौ समझौते हुए वे एक तरह से उसकी ज्यादातर आकांक्षाओं की पूर्ति करने वाले हैं। ओली को भारत सरकार ने उतना सम्मान तो दिया ही जितना आमतौर पर किसी विदेशी नेता को दिया जाता है। उससे आगे बढ़कर प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल के साथ रोटी-बेटी यानि खून के रिश्ते की बात की। जो नौ समझौते हुए वे सब नेपाल की मांग के अनुकूल हैं। भूकंप पीड़ित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए 25 करोड़ डॉलर यानि 1600 करोड़ देने के समझौते पर भारत ने सहर्ष हस्ताक्षर कर दिए। पारगमन और विदेशी व्यापार के लिए अतिरिक्त मार्ग देने पर भी हामी भरी। इन सबसे ओली और उनके साथियों को अहसास हुआ होगा कि उनसे एक बार फिर भारत को समझने में भूल हुई।

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