Thursday, 11 February 2016

अमेरिकी आतंकी दाउद गिलानी उर्प डेविड हेडली के रहस्योद्घाटन

पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी दाउद गिलानी उर्प डेविड कोलमैन हेडली की गवाही से मुबंई हमले से लेकर कई अहम खुलासे हुए हैं। गौरतलब है कि मुंबई के विशेष न्यायाधीश ने 10 दिसंबर 2015 को हेडली  को कुछ शर्तें के साथ इस मामले में सरकारी गवाह बनाया था और उसे 8 फरवरी को अदालत के सामने पेश होने को कहा था। फिलहाल हेडली शिकागो की जेल में बंद है। वीडियो कांपेंस के जरिए उसकी गवाही हो रही है। भारतीय कानून के इतिहास में पहली बार कोई विदेशी आतंकवादी किसी भारतीय अदालत में इस पकार गवाही दे रहा है। अपनी गवाही के दौरान हेडली ने जो कुछ बताया उससे उन सभी बातों की पुष्टि हो रही है जो विभिन्न स्तरों पर पहले ही सामने आ चुकी हैं। हेडली ने जो जानकारी दी है उससे इस बात की पुष्टि होती है कि मुंबई हमले में पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई और जेहादी संगठन लश्कर--तैयबा सभी इस हमले के साजिशकर्ता थे। उदाहरण के तौर पर हेडली ने कबूला कि वह पाक आतंकी हाफिज सईद के निर्देश पर लश्कर--तैयबा के लिए काम करता था। अमेरिका में 35 साल की सजा शिकागो जेल में काट रहे हेडली ने कोर्ट को बताया कि वह 2008 के आतंकी हमले से पहले सात बार मुंबई आया और हमले के बाद एक मार्च 2009 में दिल्ली गया था। हेडली के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि हेडली ने माना है कि वह हाफिज सईद के पभाव में आकर लश्कर में शामिल हुआ था। हेडली ने भारत की जांच एजेंसी एनआईए को कई अहम जानकारियां दी हैं। उसका कहना है कि हाफिज सईद को मुंबई हमले की जानकारी थी। लश्कर के हमले से पहले हाफिज ने रजामंदी दी। मुबंई हमले के लिए आईएसआई ने पूरी मदद की। रेकी के लिए पैसा आईएसआई के मेजर इकबाल ने दिया। आईएसआई का इकबाल और समीर था हेडली का हैंडलर। आईएसआई का ब्रिगेडियर रियाज था लखवी का हैंडलर। हमले के बाद लखवी से जेल में मिला था आईएसआई चीफ। पहले सिर्प होटल ताज पर हमले की थी साजिश। मार्च 2008 में कईं जगहों पर हमले का प्लान बना। लश्कर के अबू याकूब के नेतृत्व में नेवल विंग बनाया। भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया था ये नेवल विंग। पाक हैंडलर्स को हेडली ने पहचाना। साजिद, अबू उल कामा, अबू कहफा कर रहे थे आतंकियों से बात। हमले से एक साल पहले नियामत शाह के जरिए हथियार पहुंचाए। उप-राष्ट्रपति के घर, इंडिया गेट की भी हुई थी रेकी। पहाड़गंज, सीबीआई के दफ्तर की हुई थी रेकी। हेडली की गवाही के आधार पर भारत को पाकिस्तान पर नए सिरे से दबाव बनाने और उसे कुछ और सबूत सौंपने में मदद तो मिलेगी पर इसकी उम्मीद कम ही है कि वह दबाव में आएगा अथवा नए सबूतों को भी मानने के लिए तैयार होगा। आतंकवाद को पालने-पोसने और उसे अपनी राजनीति का हिस्सा बना लेने के बावजूद पाकिस्तान सदैव इंकार की मुद्रा में रहता है। पर हेडली के बयान से 26/11 मुबंई हमले में पाकिस्तान को अतंर्राष्ट्रीय जगत में अलग-थलग करने में मदद अवश्य मिलेगी। चूंकि यह गवाही अमेरिका के शिकागो से हो रही है इसलिए इसको फर्जी करार नहीं दिया जा सकता। सवाल यह भी है कि हेडली की गवाही के बाद अब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय क्या और दबाव बनाएगा? क्या अमेरिका या संयुक्त राष्ट्र संघ पाक आईएसआई से जुड़े रहे अफसर शुजा पाशा के अलावा हाफिज सईद, अबू जिंदाल और लखवी समेत अन्य आतंकियों के बारे में कुछ और पतिबंध आदि की घोषणा करेंगे? मुंबई हमलों के तुरंत बाद पाकिस्तान सरकार ने यह मानने से इंकार कर दिया था कि हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई। बाद में उसने कहना शुरू कर दिया कि इसके लिए पूरी तरह से नान स्टेट एक्टर्स जिम्मेदार हैं। 26/11 मामले में पर्याप्त सबूत न होने की वजह से जकी उर्र रहमान लखवी को छोड़ दिया गया। हाफिज सईद पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस गवाही के आधार पर पाकिस्तान में फलते-फूलते इन आतंकी संगठनों और पाकिस्तानी सरकारी ढांचे में बैठकर उन्हें खाद-पानी देने वालों के खिलाफ पाकिस्तानी हकूमत पर नए सिरे से दबाव बनाया जा सकता है।

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