सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर के पांपोर में उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआई) के भवन में छिपे सभी आतंकियों को 48 घंटे तक लंबी चली मुठभेड़ के बाद सोमवार को मार गिराया। भवन में तीनों आतंकियों
के शव बरामद कर लिए गए। रविवार को एक आतंकी को मार गिराया था। मुठभेड़ में हमारे दो
बहादुर कैप्टन सहित पांच जवान शहीद हो गए। एक नागरिक की भी मौत हो गई। सभी आतंकी लश्कर-ए-तैयबा के विदेशी आतंकी थे। पांपोर में हुआ यह आतंकी
हमला महज 50 दिन पहले पठानकोट के एयरबेस पर हुए हमले से कमतर
जरूर था, पर यह हमला सीमा पार से अंजाम दी जाने वाली आतंकी कार्रवाइयों
की पुनरावृत्ति जैसा ही था। यह हमला और भयावह हो सकता था, यदि
सेना के जवानों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के बाद ईडीआई पर आतंकियों के कब्जे से
पहले ही वहां मौजूद सौ से अधिक छात्रों और शिक्षकों को हटा नहीं लिया होता। यही नहीं,
ईडीआई की इमारत भी नेशनल हाइवे पर स्थित है, जहां
आवाजाही बनी ही रहती है। 48 घंटे से भी अधिक समय तक चली इस कार्रवाई
में देश ने दो युवा कैप्टन पवन कुमार और तुषार महाजन सहित पांच जवान खो दिए हैं। इस
आतंकी हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा की पीठ
थपथपा कर प्रतिबंधित पाकिस्तानी जेहादी संगठन जमात-उद-दावा ने अपना असली चेहरा उजागर कर दिया है। ऐसी निन्दनीय वारदात के लिए जमात-उद-दावा के सोशल मीडिया प्रकोष्ठ के मुखिया ने ट्विट
करके लश्कर-ए-तैयबा को न केवल बधाई दी बल्कि
भारतीय सेना पर कई और हमले करने की चेतावनी भी दे डाली। ऐसे हर हमले के बाद मार्मिक
कहानियां सामने आती हैं, जिनसे पता चलता है कि आतंकवाद से निपटने
में देश को कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। इसके साथ ही हाल के दो हमलों को देखें
तो एक खास पैटर्न पता चलता है। यह महज इत्तेफाक नहीं है कि जब-जब भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत की संभावनाएं दिखती
हैं, सीमा पार से आतंकी कार्रवाई को अंजाम दिया जाता है। मसलन
पांपोर में इस हमले को अंजाम तब दिया गया जब पाकिस्तान में अंतत पठानकोट हमले को लेकर
एफआईआर दर्ज करने की खबरें आईं। उधर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों
के सलाहकार सरताज अजीज ने खुलासा किया है कि पठानकोट इंडियन एयरबेस पर आतंकी हमले से
संबंधित एक मोबाइल फोन नम्बर का सुराग मिला है। यह नम्बर जैश-ए-मोहम्मद के हैडक्वार्टर बहावलपुर का है। अजीज ने कहा
कि पठानकोट हमले में दर्ज की गई एफआईआर तार्पिक और सकारात्मक कदम है। इससे दोषियों
को न्याय के कठघरे में लाने में मदद मिलेगी। बेशक पाकिस्तानी सरकार ने पठानकोट हमले
पर सहयोग का रुख दिखाया है मगर जब तक अजहर और सईद आजाद घूमेंगे हमले होते रहेंगे।
-अनिल नरेन्द्र
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