Sunday, 14 February 2016

हेडली ने पुष्टि की इशरत लश्कर की फिदायीन आतंकी थी

मुंबई& पर 26/11 हमले के सिलसिले में गवाही दे रहे पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमेन हेडली ने गुरुवार को सनसनीखेज खुलासा किया कि 2004 में कथित फर्जी एनकाउंटर में मारी गई कॉलेज स्टूडेंट इशरत जहां आतंकवादी संगठन लश्कर--तैयबा की आत्मघाती सदस्य थी और वह भारत में तबाही मचाने के उद्श्ये से रिपूट की गई थी। वर्ष 2013 में भी हेडली ने एनआईए अधिकारियों को दिए बयान में यह दावा किया था, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस की संपग सरकार ने राजनीतिक कारणों से बयान के इस अंश को हटा दिया था। इशरत पर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं ने खासी सियासत की थी, लेकिन मुंबई& की अदालत के सामने हेडली के ताजा बयान से उसके आतंकी होने पर लगा सवालिया निशान खत्म हो गया। यह एक ऐसा केस था जिस पर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाने की खातिर सारी हदें पार कर दी थीं। इन्होंने न तो राजनेताओं को छोड़ा, न वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को छोड़ा और न ही गुप्तचर व इंवेस्टिगेटिंग एजेंसियों के अफसरों को। यह एनकाउंटर जब हुआ था तब अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री थे। राजनीतिक हमलों के चलते उन्हें न केवल मंत्री पद छोड़ना पड़ा था बल्कि महीनों जेल में गुजारने पड़े थे। जेल से छूटने पर बेल की शर्तों के मुताबिक गुजरात से बाहर रहना पड़ा था। मई 2014 में सीबीआई ने अमित शाह को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। उन पर केस नहीं चलाया जा सकता। इशरत जहां मामले में आरोपी पूर्व आईपीएस डीजी बंजारा ने कहा कि हेडली की गवाही से गुजरात पुलिस का रवैया सही साबित हुआ है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि इससे सिद्ध होता है कि इशरत एक आतंकी थी और जिस मुठभेड़ में वह मारी गई थी वह सही थी। बंजारा अहमदाबाद की उस काइम ब्रांच के डीजीपी थे जिसने इशरत जहां और अन्य को कथित मुठभेड़ में मारा था। बंजारा फिलहाल जमानत पर हैं। उन्होंने कहा कि मुठभेड़ का राजनीतिकरण कर उसे गलत दिशा में ले जाया गया जबकि मुठभेड़ वास्तविक थी और पुलिस के अफसरों पर केस फर्जी थे। उधर इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक राजेन्द्र कुमार ने गुरुवार को दावा किया कि किसी ने इशरत मामले में उनका नाम घसीटकर उनका इस्तेमाल करने की कोशिश की थी। यह पूछे जाने पर क्या सीबीआई ने कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में उन्हें आरोपी बनाकर जानबूझकर पताड़ित करने के लिए अभियान चलाया, कुमार ने कहा में सीबीआई द्वारा जानबूझकर पताड़ित करने के अभियान का शिकार नहीं हूं। किसी ने देश में लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए मेरा इस्तेमाल एक प्यादे के तौर पर करने का पयास किया लेकिन वह असफल हो गए। मैं उनका प्यादा नहीं बना। गौरतलब है कि सीबीआई ने राजेन्द्र कुमार और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के तीन अन्य अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। उल्लेखनीय है कि कानून मंत्रालय के इंकार के बावजूद 1979 बैच के आईपीएस राजेन्द्र कुमार के अलावा आईबी के तीन अफसरों के खिलाफ सीबीआई ने धारा 302 (हत्या), आपराधिक साजिश 120 (बी), हत्या के लिए अपहरण 346, 364, 368 (गलत इरादे से बंदी बनाया) और आर्म्स एक्ट की धारा 29 लगाई गई थी। हेडली की गवाही से तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदम्बरम व सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा पर गंभीर सवाल जरूर खड़े होंगे। गृह मंत्रालय ने इशरत को आतंकी बताने वाले हलफनामे को वापस ले लिया था, वहीं सिन्हा ने इशरत के गुप के मंसूबों के बारे में सतर्प करने वाले खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधिकारियों को आरोपी बनाने की काशिश की थी। मुंबई कोर्ट में सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने हेडली से पूछा ः क्या लश्कर में महिला विंग है? हेडली ः हां। निकम ः इसका पमुख कौन है? हेडली ः अबू हंजर की मां अबू अमियन। निकम ः क्या लश्कर में महिला फिदायीन हैं? हेडली ः मैं नहीं जानता। निकम ः क्या तुम इन फिदायीन का नाम बता सकते हो? हेडली ः मैं नहीं बता सकता। निकम ः क्या इंडिया में कोई आपरेशन करना था? हेडली ः हां मैंने (लश्कर कमांडर) लखवी को मुजम्मिल भट्ट से कहते सुना था कि एक महिला फिदायीन की वजह से आपरेशन नाकाम हो गया। मेरा मानना था कि वह भारतीय थी, पाकिस्तानी नहीं लेकिन लश्कर की सदस्य थी। निकम ः इस लश्कर में कितनी महिलाएं थीं? हेडली ः मुझे याद नहीं है लेकिन एक महिला थी, जो नाके पर पुलिस शूटआउट में मारी गई थी। एनकाउंटर किस राज्य में हुआ, मुझे पता नहीं। निकम ः मैं आपको तीन नाम बताता हूं इनमें से वह कौन थी? नूर जहां बेगम, इशरत जहां और मुमताज बेगम। हेडली ः इशरत जहां। उल्लेखनीय है कि 15 जून 2004 को गुजरात पुलिस से हुई मुठभेड़ में मुंबई& निवासी 19 वर्षीय इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद अली, अकबर राणा और जीशान जौहर मारे गए थे। ये आतंकी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या के मिशन पर थे। हेडली के अनुसार आईएसआई का मेजर इकबाल उसे नियमित रूप से फंड भेजता था। सितंबर 2006 में उसने 25000 डालर और 2008 में नकली भारतीय नोट भी दिए थे। हेडली के रहस्योद्घाटन के बाद भी कांग्रेस अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही है। पार्टी नेता मनीष तिवारी ने कहा कि अगर हेडली के बयान को मान भी लिया जाए कि इशरत आतंकी थी तो भी कानून इसकी इजाजत नहीं देता है कि फर्जी मुठभेड़ में उसे मारा जाए। कानून कहता है कि उसे गिरफ्तार कर कार्रवाई हो जिस तरह अजमल कसाब के मामले में हुआ। मनीष ने कहा कि मुख्य सवाल यही है कि वह मुठभेड़ फर्जी थी और कोर्ट ने भी यही माना है। दूसरी ओर हेडली की गवाही के बाद भाजपा ज्यादा आकामक हो गई है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हेडली के खुलासे के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वोट की राजनीति के लिए नीतीश बाबू ने देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया है। इशरत को बिहार की बेटी बताने वाले नीतीश माफी मांगे। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पी. चिदम्बरम जैसे कई नेताओं ने इशरत की मौत पर राजनीति की थी। कांग्रेसी नेताओं की तो यह परंपरा है कि वह देश भक्त जवान की शहादत को भुलाकर आतंकियों की मौत पर आंसू बहाते हैं। ऐसा ही बटला हाउस एनकाउंटर के वक्त भी हुआ था। यही कारण है कि पहले भी हेडली ने जब इशरत को लश्कर का फिदायीन बताया था तो कांग्रेस ने उस तथ्य को छुपा लिया था।

                                                                        -अनिल नरेन्‍द्र

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