Saturday, 17 June 2017

मरे हुए सुशील चंद्र गुप्ता के खाते से 45 लाख रुपए उड़ाए

बैंकों में कर्मचारियों की मिलीभगत से घोटाले आम हो गए हैं। नोटबंदी के बाद तो कुछ बैंक कर्मचारियों ने एक तय परसेंट लेकर करोड़ों के नोट बदले और मालामाल हो गए। कई फंसे भी और कई जेल भी गए पर यह धंधा रुका नहीं। जहां भी इन भ्रष्ट बैंककर्मियों को मौका मिलता है यह चूकते नहीं। ताजा उदाहरण स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) का है। पुलिस आयुक्त एमएस रंधावा के अनुसार दरियागंज स्थित एसबीआई की मैनेजर ने बीती 30 मई को पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज की थी। उन्होंने बताया कि उनके बैंक में सुशील चंद्र गुप्ता नाम के व्यक्ति का खाता है। बीती 30 मई को खाताधारक सुशील चन्द्र गुप्ता का एक रिश्तेदार बैंक आया तो पता चला कि उनके खाते में से किसी ने छह माह के भीतर 45.20 लाख रुपए निकाल लिए हैं। इस जानकारी से बैंक में हड़कंप मच गया। बैंक मैनेजर ने मिहिर कुमार मिश्रा नामक क्लर्क पर शक जताया। इस बाबत मामला दर्ज करके थानाध्यक्ष सतेन्द्र मोहन की देखरेख में एसआई महिपाल ने छानबीन शुरू की। निष्क्रिय बैंक खातों (बंद पड़े) में सेंध लगाकर 51 लाख रुपए उड़ाने के आरोप में पुलिस ने एसबीआई के एक असिस्टेंट मैनेजर और क्लर्क को एक जून को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने आठ वर्ष से बंद पड़े एक खाते से 45 लाख और दूसरे खाते से छह लाख रुपए निकाल लिए थे। पुलिस ने इस रकम को दूसरे बैंक खातों में पहुंचाने और वहां  से नगदी निकालने के लिए इस्तेमाल की गई बायोमेट्रिक मशीन से छानबीन शुरू की। इससे साफ हो गया कि रकम की हेराफेरी मिहिर ने की है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में उसने बताया कि फर्जीवाड़े में गोल मार्किट स्थित एसबीआई शाखा का असिस्टेंट मैनेजर सैयद जीशान मोहम्मद भी शामिल है। आरोपियों ने महज एक माह के भीतर 45 लाख रुपए खाते से निकाल लिए। उसने सबसे पहले 2 सितंबर 2016 को खाते से 100 रुपए निकाले। तीन दिन तक जब इसे लेकर कोई शिकायत नहीं हुई तो वह लगातार खाते से रकम निकालने लगा। इसके अलावा उसने लगभग 22 लाख रुपए दूसरे खातों में भेजकर वहां से निकाल लिए। आरोपी बैंक क्लर्क मिहिर की गिरफ्तारी के बाद दो अन्य लोगों की शिकायत भी बैंक को मिली। इन दोनों शिकायतों को दरियागंज पुलिस को सौंपा गया है। शिकायत में बताया गया है कि दो लोगों ने नोटबंदी के दौरान 48000 और 49000 रुपए बैंक खाते में जमा करवाए थे। मिहिर ने उन्हें रसीद तो दे दी लेकिन उनके खाते में रकम जमा कराने की जगह खर्च कर दी। मिहिर को पता था कि सुशील चंद्र गुप्ता, जिनका खाता 8 वर्ष से निष्क्रिय था उनका देहांत हो चुका है। इसी वजह से मिहिर ने सुशील के खाते से 45 लाख निकाले।  

-अनिल नरेन्द्र

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