Thursday, 1 June 2017

सब्जार अहमद का मारा जाना सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि

कश्मीर में एक के बाद एक कई आतंकियों को मार गिराया जाना हमारे सुरक्षा बलों की एक बड़ी कामयाबी है। सबसे बड़ी कामयाबी 10 लाख के इनामी खूंखार आतंकी सब्जार अहमद भट्ट का मारा जाना है। कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों ने शनिवार को हिज्बुल मुजाहिद्दीन के शीर्ष कमांडर बुरहान वानी के वारिस सब्जार अहमद भट्ट को मार गिराया। सब्जार पर 10 लाख रुपए का इनाम था और बुरहान वानी के बाद घाटी में हिज्बुल की कमान उसके हाथ में आ गई थी। उधर बारामूला जिले के रामपुर सेक्टर में एलओसी पर घुसपैठ की कोशिश करते समय 6 आतंकी मार गिराए गए। मुठभेड़ के दौरान क्रास फायरिंग में एक नागरिक की भी मौत हो गई। सब्जार का खात्मा इसलिए जरूरी था क्योंकि उसने पिछले साल जुलाई में मारे गए बुरहान वानी की जगह ले ली थी। सब्जार के खात्मे से एक बार फिर यह साफ हुआ कि घाटी में भारत के खिलाफ बंदूक उठाने वालों की जिंदगी दो-चार साल से अधिक की नहीं। बुरहान और सब्जार का वही हश्र हुआ जो आतंक के रास्ते पर चलने वालों का होता आ रहा है लेकिन कश्मीर में आजादी की बेतुकी मांग के जरिए उन्माद पैदा कर युवाओं को आतंक के रास्ते पर धकेलने का सिलसिला जारी है। सब्जार की मौत के बाद घाटी में पत्थरबाजी व हिंसा का दौर शुरू हो गया। दो दर्जन पुलिसकर्मियों सहित सौ से ज्यादा लोग जख्मी हुए। त्राल व दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, शोपिया, बारामूला, खांदेरबल समेत 50 जगह हिंसक झड़पें हुईं। श्रीनगर व सात क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। मुठभेड़ में मारा गया हिज्ब आतंकी सब्जार कई दिनों से सुरक्षा बलों के निशाने पर था। सब्जार 19-20 मई को श्रीनगर आया था और तभी से उसके ठिकाने पर दबिश दी जा रही थी लेकिन वह बचता रहा। सुरक्षा बलों को शुक्रवार को पता चला कि वह त्राल में शिकारगाह के पास स्थित सिख बहुल गांव सोयमू में अपने एक संपर्क सूत्र के पास छिपा है। आतंकी रहे बुरहान वानी के बचपन का दोस्त सब्जार अहमद त्राल में एक युवती को प्यार करता था लेकिन 2015 में यह संबंध टूट गया। प्रेमिका द्वारा ठुकराए जाने पर उसने आतंकवाद का रास्ता अपनाया। वह शुरू में बुरहान के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर काम करता था। लेकिन अप्रैल 2015 को बुरहान के भाई खालिद के मारे जाने के बाद वह हिज्बुल मुजाहिद्दीन में शामिल हो गया। सब्जार की स्थानीय और विदेशी आतंकियों में ही नहीं, आतंकियों के ओवर ग्राउंड नेटवर्क और अलगाववादियों में पैठ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जाकिर मूसा ने हिज्बुल से नाता तोड़कर जब अपना नया इस्लामिक संगठन बनाने की कवायद शुरू की तो उसे सब्जार ने रुकवाया। सब्जार के कहने पर मूसा को मनाने के लिए हिज्बुल की कमान काउंसिल वादी में सक्रिय अपने ओवर ग्राउंड नेटवर्क की मदद ले रही है। कश्मीर घाटी में जो हालात बने हुए हैं उसके लिए जितने जिम्मेदार हुर्रियत सरीखे संगठन हैं उतने ही पाकिस्तान में फल-फूल रहे आतंकी संगठन भी। चूंकि कश्मीर में अलगाव और आतंक एक धंधा बन गया है। इसलिए वहां के हालात संभलने का नाम नहीं ले रहे हैं। हालांकि मोदी सरकार की ओर से बार-बार यह कहा जा रहा है कि कश्मीर के हालात नियंत्रित किए जाएंगे लेकिन वांछित सफलता नजर नहीं आ रही है। कश्मीर के खराब हालात मोदी सरकार के लिए चिंता का विषय बनने चाहिए, क्योंकि तीन वर्ष बाद भी स्थिति जस की तस दिखती है। हालात बदलने के मामले में भाजपा की साझीदार पीडीपी का रवैया भी कोई बहुत उत्साहजनक नहीं है। हालांकि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती यह कहती हैं कि प्रधानमंत्री मोदी कश्मीर की समस्या का हल खोजने की क्षमता रखते हैं लेकिन इसके साथ ही यह रट भी लगाए रहती हैं कि केंद्र को हुर्रियत के साथ-साथ अलगाववादी एवं पाकिस्तान परस्त तत्वों से बात करनी चाहिए। चूंकि इस रुख-रवैए से बात बनने वाली नहीं इसलिए कश्मीर में कुछ नए और लीक से हटकर कदम उठाए जाने होंगे।     
 -अनिल नरेन्द्र

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