Saturday, 24 June 2017

टीम इंडिया में सिर फुट्टौवल

चैंपियंस ट्राफी का फाइनल जीतने के बाद जहां पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का उनके देश में जबरदस्त स्वागत हुआ वहीं भारत की टीम में जबरदस्त फुट्टौवल हो गया है। पहली बार चैंपियंस ट्राफी में खेलने वाले युवा पाक क्रिकेटरों को देश ने सिर पर उठा लिया और रातोंरात करोड़पति बन गए हैं। खिलाड़ियों के लिए कई तरह के इनामों की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हर खिलाड़ी को एक-एक करोड़ रुपए देने की घोषणा की। अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए दो करोड़ 90 लाख रुपए के बोनस की घोषणा हुई है। पाक बोर्ड भी 10-10 लाख रुपए का बोनस देगा। टीम को ट्राफी जीतने पर 20 करोड़ का पुरस्कार मिला। एक बिल्डर ने हरेक खिलाड़ी को 10-10 लाख रुपए और फ्लैट देने की घोषणा की। वहां तो इनाम बंट रहे हैं यहां टीम इंडिया में घमासान मचा हुआ है। पाकिस्तान के हाथों हार का पहला फालआउट यह हुआ कि मुख्य कोच अनिल पुंबले की विदाई हो गई। अनिल पुंबले ने अपने इस्तीफे का कारण विराट कोहली से मतभेद बताया। वैसे तो कोच और कप्तान के बीच पिछले कई महीनों से मन-मुट्टोवल चल रहा था पर सोच का फर्प उस वक्त सामने ज्यादा आया जब फाइनल मैच में पुंबले चाहते थे कि कप्तान टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करें। लेकिन विराट कोहली ने पहले गेंदबाजी चुनी और पाक ने बड़ा स्कोर खड़ा कर भारत को मुकाबले से बाहर कर दिया। यह सुनते ही कि कोहली ने बॉल करने का फैसला किया है हैरान हो गए। विराट जब ड्रेसिंग रूम में लौटे तो पुंबले ने इस बारे में पूछा, इस पर कप्तान ने बेरुखी से जवाब दिया। इससे भारतीय खेमे में माहौल खराब हो गया और पाकिस्तान से करारी हार टीम के हिस्से आई। कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल पुंबले के बीच अनबन की खबरें आ रही थीं। कोई इसके लिए किसी खास खिलाड़ी को लेकर दोनों की राय में अंतर को जिम्मेदार ठहरा रहा है, कोई पुंबले की अनुशासनप्रियता को। बीसीसीआई की तरफ से जिस टीम को दोनों के बीच सुलह कराने भेजा गया था, उसके एक सदस्य का ऑफ द रिकॉर्ड कहना है कि कप्तान किसी भी सूरत में कोच के साथ काम करने को राजी नहीं है और कप्तान को हम हटा नहीं सकते, ऐसे में कोच के पास हट जाने के सिवाय कोई चारा नहीं था। भारतीय क्रिकेट और विवादों का नाता कोई नया नहीं है। यह पहला मौका नहीं है जब यह नजर आया कि टीम इंडिया में कप्तान असली किंग है। 1999 में जब कपिल देव टीम के कोच थे तब भी ऐसा विवाद हुआ था। उस दौरान नवम्बर 1999 से जनवरी 2000 के बीच भारतीय टीम आस्ट्रेलिया के दौरे पर थी। सचिन तेंदुलकर को दूसरी बार टीम की कमान सौंपी गई थी, लेकिन उस आस्ट्रेलिया दौरे के बाद चीजें इतनी तेजी से बदलीं कि कपिल को इस्तीफा देना पड़ा। कोई भी टीम कप्तान, खिलाड़ियों और कोच के आपसी तालमेल से ही आगे बढ़ती है, तालमेल न हो तो समस्याएं आती हैं, टीम का खेल प्रभावित होता है और कई अप्रिय स्थितियां भी बनती हैं। बड़ा सवाल यहां यह है कि क्या कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति एक ऐसी टीम का कोच बनने के लिए तैयार होगा, जिसमें कोच की नियुक्ति से लेकर खिलाड़ियों के चयन और रणनीति बनाने तक सारे फैसले सिर्प कप्तान की मर्जी से लिए जाते हों? भारतीय टीम के बारे में वैसे भी कहा जाता रहा है कि इसमें कोच जब तक ट्रेनर की भूमिका में रहे, तभी तक सब ठीक रहता है। लेकिन क्रिकेट तेजी से बदल रहा है और इसमें कोच का रोल अब कमोबेश हॉकी और फुटबॉल जैसा होने लगा है। कप्तान कोहली को इस घटना के बाद ज्यादा सजग रहना होगा।

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