Sunday, 11 June 2017

जनरल विपिन रावत एक साथ ढाई मोर्चे पर निपटने को तैयार हैं

भारतीय सेना के तेवर में लगातार बदलाव दिख रहा है और बिना शक आर्मी चीफ विपिन रावत इसके केंद्र में हैं। उनके कुछ फैसलों से विवाद भी खड़ा हुआ है, लेकिन तेवर न तो आलोचना से थमे न पत्थरबाजों से। सेना के रुख में पूरे बदलाव को समझने के ]िलए हाल की कुछ घटनाओं पर नजर डालनी होगी। आर्मी चीफ के जिस फैसले पर सबसे ज्यादा सवाल उठे, वह था मेजर लितुल गोगोई को सम्मान देना। मेजर ने कश्मीर में पत्थरबाजों से बचने के लिए वहीं के एक पत्थरबाज को सेना की जीप से बांध दिया। कुछ तथाकथित सेक्यूलरिस्टों ने इसे मानवाधिकार हनन बताया। इसके बावजूद आर्मी चीफ ने मेजर गोगोई का खुलेआम साथ दिया। जनरल रावत ने शुरू में ही साफ कर दिया था कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए अभियानों के दौरान बाधा पैदा करने वाले और पाक या आईएस का झंडा दिखाने वाले को राष्ट्र विरोधी माना जाएगा और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। आर्मी चीफ का एक और बड़ा फैसला यह सामने आ रहा है कि कश्मीर के अशांत इलाकों में घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाना। घाटी में करीब 15 साल बाद सेना ने विध्वंसक गतिविधियों पर काबू पाने के लिए यह उपाय अपनाया है। नियंत्रण रेखा और आसपास से जुड़े इलाकों में आए दिन घुसपैठियों और पाक सैनिकों को मारा जा रहा है। जनरल रावत यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ढाई मोर्चों पर युद्ध लड़ने के लिए हमेशा तैयार है। उन्होंने जिस तरह से ढाई मोर्चे शब्द का इस्तेमाल किया, वह अपने आप में काफी दिलचस्प और दूरगामी है। उनका कहना है कि भारतीय फौज एक साथ चीन और पाकिस्तान से तो टक्कर ले सकती है, साथ ही वह देश के अंदर होने वाली किसी भी उथल-पुथल से भी आसानी से निपट सकती है। इसमें चीन और पाकिस्तान दो मोर्चे हैं और आंतरिक उथल-पुथल बाकी का आधा मोर्चा। निश्चित तौर पर पाकिस्तान और चीन के खिलाफ जो दो मोर्चे हैं। वे बहुत बड़े हैं। ये दोनों पड़ोसी देश हैं। जिनसे हमारा पुराना सीमा विवाद है। दोनों ही परमाणु शक्ति सम्पन्न देश हैं। यह बात अलग है कि पाकिस्तान एक नाकाम देश माना जाता है, जबकि चीन एक विकसित देश ही नहीं, दुनिया की एक आर्थिक व सैनिक महाशक्ति के रूप में गिना जाता है। इतने विरोधाभास होने के बावजूद भारत के खिलाफ दोनों में एक तरह का सैनिक गठजोड़ भी है, जो इन दिनों भारत के लिए बड़ी चिन्ता का विषय भी है। इस खबर ने यह चिन्ता और बढ़ा दी है कि चीन पाकिस्तान में अपना सैनिक अड्डा बनाने जा रहा है। अगर हमारी सेना यह मानती है कि वह इन सारी चुनौतियों का एक साथ सामना करने को तैयार है तो यह हमारे लिए सुरक्षा का एक बड़ा आश्वासन भी है। जनरल विपिन रावत की हिम्मत और स्पष्टवादी होने पर हम उन्हें बधाई देते हैं।

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