Saturday 10 June 2017

आतंक का पनाहगार पाक दोस्त कम, खतरा ज्यादा

अमेरिका के एक थिंक टैंक ने तल्ख टिप्पणी की है कि पाकिस्तान अब भी तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की पनाहगाह बना हुआ है, वह अमेरिका के लिए दोस्त कम और खतरा अधिक बना हुआ है। अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक इंटरनेशनल स्टडीज का कहना एकदम सही है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार को पाकिस्तान को सहयोगी के बजाय खतरे के तौर पर देखना चाहिए। पाकिस्तान लंबे समय से आतंकियों की शरणगाह है। वहां ट्रेनिंग पाने वाले आतंकियों ने भारत सहित कई पश्चिमी देशों में भीषण हमले किए हैं। ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं हाल में ब्रिटेन पर आतंकी हमला करने वाला फिदायीन पाकिस्तान मूल का था। पाकिस्तान ने तो भारत के खिलाफ आतंकवाद को सरकारी नीति का अंग बना रखा है। अफगानिस्तान में खूनी खेल खेलने वाले तालिबान और उसके सहयोगी हक्कानी नेटवर्क की पीठ पर पाकिस्तान का हाथ है। फिर भी अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने पाकिस्तान के प्रति वांछित सख्ती नहीं दिखाई है। इस थिंक टैंक ने ट्रंप प्रशासन से कहा है कि उसे इस्लामाबाद को यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि यदि पाकिस्तान ने आतंकी गुटों को इसी तरह समर्थन देना जारी रखा तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। थिंक टैंक ने यह भी कहा है कि चीन को भी स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान संबंधी समस्या से निपटने में चीनी सहयोग और अमेरिका और चीन, दोनों के हित में है। विडंबना देखिए कि अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपना सहयोगी बना रखा है। यह जानते हुए भी कि जो हथियार व आर्थिक मदद वह पाकिस्तान को दे रहा है उसका इस्तेमाल या तो अफगानिस्तान या भारत के खिलाफ होगा। फिर भी यह मदद जारी है। दुनिया के सामने आतंकवाद एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभरा है। लंदन में अभी हाल ही में हुए दो हमले आतंकवाद के खतरे को एक बार फिर सामने रखते हैं। भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी सहित सभी लोकतांत्रिक देशों की स्थिति की गंभीरता समझने की जरूरत है। अब तक अछूता रहा ईरान भी आईएस की चपेट में आ गया है। आतंकवाद को समर्थन देने वाले सभी देशों जिनमें पाकिस्तान सबसे अव्वल है, के विरुद्ध हर स्तर पर तगड़ी मोर्चाबंदी करने की सख्त आवश्यकता है। यदि अमेरिका पाकिस्तान को फौजी और आर्थिक मदद बंद करता है तो सहयोगी पश्चिमी देश भी उसका अनुसरण कर सकते हैं। इस समय पाकिस्तान का सबसे बड़ा मददगार चीन है। चीन पर नियंत्रण लगाना भी उतना ही आवश्यक है। पाकिस्तान चीन के बलबूते पर उछलता है। अमेरिका को सख्त कदम उठाने होंगे।

-अनिल नरेन्द्र

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