Thursday 8 June 2017

घाटी में टेरर फंडिंग पर एनआईए का शिकंजा

टेरर फंडिंग पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों पर जो छापे डाले जा रहे हैं वह कश्मीर में हालात सुधारने हेतु अभूतपूर्व भी कहे जा सकते हैं। इसलिए क्योंकि घाटी में आतंकवाद के पिछले ढाई दशक के इतिहास में इतनी जगह एक साथ छापे नहीं डाले गए थे। इस तरह की छिटपुट कार्रवाई 2002 में हुई थी। लेकिन ताजा छापों का दायरा बड़ा है। पिछले हफ्ते एनआईए ने घाटी में पाकिस्तान से हो रही आतंकी फंडिंग पर एक स्टिंग आपरेशन के बाद अलगाववादी संगठनों के अलावा आतंकवाद का समर्थन करने वालों के खिलाफ प्रारंभिक रिपोर्ट दर्ज की। चूंकि बिना एफआईआर के जांच एजेंसी रेड नहीं कर सकती थी, सो उस प्रारंभिक रिपोर्ट को एफआईआर में बदला गया। फिर जांच एजेंसी ने शनिवार को एक साथ कश्मीर के 15-16 जगहोंöदिल्ली के सात-आठ जगहों और सोनीपत (हरियाणा) के दो ठिकानों पर छापे मारे। भारी मात्रा में सऊदी रियाल, यूएई करेंसी व पाकिस्तान व खाड़ी देशों से आए पैसे से जुड़े दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इस दौरान फोन डायरी, मोबाइल फोन तथा कच्चा वाउचर भी जब्त किए गए। पाकिस्तान घोषित आतंकी संगठन लश्कर--तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के लेटरहेड, पेन ड्राइव और इलैक्ट्रॉनिक गैजेट्स भी जब्त किए गए। हालांकि रुपए-पैसे का खेल तो राज्य में 1990 से चल रहा है, जब पहली बार जांच एजेंसी को पता चला कि पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) और हिजबुल मुजाहिद्दीन को हिंसा फैलाने के लिए आर्थिक मदद की जाती है। जानकारों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में करीब 200 से 400 करोड़ रुपए की फंडिंग आतंक फैलाने के लिए अलगाववादी संगठनों और विभिन्न आतंकी धड़ों को की जाती है। अब छापों में मिले दस्तावेजों व अन्य सामानों की विस्तृत तफ्तीश के बाद आगे की कार्रवाई होगी। कश्मीर में हिंसा तथा उपद्रव को पाकिस्तान की तरफ से शह मिलती है यह बात किसी से छिपी नहीं रही है। पर पाकिस्तान इसे दुनिया के सामने राजनीतिक या नैतिक समर्थन की तरह पेश करता आया है। एनआईए की ताजा जांच का महत्व यह है कि कश्मीर घाटी के असंतोष को स्वत स्फूर्त बताने के पाकिस्तान के प्रचार की काट करने में भारत को सहूलियत होगी। भारत अब यह कह सकेगा कि सारे बवाल के पीछे पाकिस्तान से आ रहा पैसा है। लेकिन खुलासा काफी नहीं है। सरकार को सोचना होगा कि आतंक की वित्तीय मदद के रास्ते स्थायी रूप से कैसे बंद किए जाएं? 1990 के बाद अब जाकर छापे की कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। इन दहशतगर्दों को हिंसा फैलाने के लिए खाद-पानी मिलना, उसकी काट निहायत जरूरी थी। यही वजह है कि दलाल, हवाला आपरेटर और इनको जोड़ने वाले नेटवर्क पर शिकंजा कसा जाए।

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