Friday 25 January 2019

123 सांसदों और 22 विपक्षी दलों की महारैली...(2)

उत्तर प्रदेश (80), महाराष्ट्र (48) के बाद बिहार 40 लोकसभा सीटों को लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में तीसरा सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। कोलकाता की महारैली में बिहार की ओर से शामिल हुए लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही निशाने पर रखा। उन्होंने विरोधी दलों की एकजुटता पर जोर देते हुए कहा कि हमारी अनेकता में एकता है। हम सब मिलकर देश को तरक्की की राह पर ले जाने का काम करेंगे। तेजस्वी यादव ने कहा कि हमें देश को जोड़ने का काम करना है। अब भाजपा भगाओ, देश बचाओ का वक्त आ गया है। उन्होंने पीएम मोदी को इंगित करते हुए कहा कि चौकीदार जी जान लें कि थानेदार देश की जनता है। अगर चौकीदार ने गलती की है तो देश की जनता उन्हें सजा देने का काम करेगी। उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह पर तंज कसते हुए कहा कि उनसे हाथ मिलाने वाले लोग राजा हरीश चन्द्र हैं। समझौता करने का काम कर लें तो सब ठीक, वरना सब गलत। उन्होंने बंगाल के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि लड़बो-करबो जीतबो। यही बात भोजपुरी में कहते हैं लड़े के बा...कर के बा...जीते के बा...। बिहार के नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमारी अनेकता में हीं एकता है। यही हमारे देश की खूबसूरती है। दिखने में अलग-अलग हैं। बोलने में अलग हैं। देश को आज टुकड़े-टुकड़े करने का काम किया जा रहा है। देश को तलवार की नहीं सूई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कपड़ा फट जाएगा तो तलवार काम नहीं आएगी, सूई ही काम आएगी। अलग-अलग रंग का धागा लगाएंगे तो देश को तरक्की पर ले जाएंगे। तेजस्वी ने कहा कि मोदी जी झूठ बोलने की फैक्टरी हैं, रिटेलर भी हैं, होल सेलर भी हैं और डिस्ट्रीब्यूटर भी हैं। ऐसे लोगों से सतर्प रहना जरूरी है। रैली में शामिल दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविन्द केजरीवाल ने पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी पर देश में नफरत फैलाने का आरोप लगाया है। रैली में केजरीवाल ने कहा कि कई लोग मुझसे पूछते हैं कि अगर मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनते तो कौन बनेगा? मैं आप सभी को कहना चाहता हूं कि 2019 का चुनाव प्रधानमंत्री चुनने के लिए नहीं होगा, बल्कि मोदी-शाह की जोड़ी को हटाने के लिए होगा। बीते 70 वर्षों में पाकिस्तान ने देश को कमजोर करने का लगातार प्रयास किया है। पाकिस्तान इन वर्षों में देश में नफरत फैलाने में नाकाम रहा, लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी ने इसे पांच वर्षों में ही कर दिया। डीएमके नेता एमके स्टालिन ने कहा कि यह आम चुनाव भाजपा के कट्टर हिन्दुत्व के खिलाफ भारत के लोगों के लिए आजादी की दूसरी लड़ाई होगी। कर्नाटक के सीएम कुमार स्वामी ने कहा कि आज हम केंद्र के कुल अलोकतांत्रिक लोगों को लोकतांत्रिक सरकार की अगुवाई करते देख रहे हैं। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बेस ने गोरों के खिलाफ लड़ने की अपील की थी और हम इन चोरों के खिलाफ लड़ रहे हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों में मिली विजय से बेशक कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हो पर आगे का रास्ता कांग्रेस के लिए कठिन है। देखना यह होगा कि उसके नेतृत्व को कितनी स्वीकार्यता मिलती है। फिर लोकसभा और विधानसभा के चुनावों का मिजाज, मुद्दे अलग होते हैं। लोकसभा में वही मुद्दे काम नहीं करते जो विधानसभा चुनावों में करते हैं। इसलिए किसी दल के विधानसभा चुनाव नतीजों के आधार पर लोकसभा में भी उसकी विजय का दावा नहीं किया जा सकता। ज्यादातर दलों जो इस महारैली में शामिल हुए थे की हैसियत क्षेत्रीय स्तर पर सिमटी हुई है। इसलिए वे क्षेत्रीय मुद्दों को किस प्रकार और कितना राष्ट्रीय मुद्दों में बदलने में कामयाब हो पाएंगे, यह भी एक चुनौती है। इन दलों को एकजुटता के साथ-साथ कॉमन मिनिमम प्रोग्राम भी बनाना होगा। पहले गठबंधन की कुछ सरकारों के अनुभव अच्छे नहीं रहे जिनमें ये सभी दल शामिल थे। इसलिए मतभेदों को भुलाकर मतदाता के मन में स्थायी और कारगर सरकार दे पाने का भरोसा जगा पाना इन दलों के सामने बड़ी चुनौती होगी। फिर सभी दल चुनाव मैदान में उतरेंगे तो वे अपने लिए उतरेंगे, इसलिए वे बेशक भाजपा को हराने का नारा दे रहे हों, पर वे उसके जनाधार में कितनी सेंध लगा पाएंगे यह समय ही बताएगा? भाजपा के खिलाफ भले ही विपक्षी नेताओं ने साझा मंच पर एकता दिखाई हो, लेकिन इनमें अंतर्विरोध भी नजर आ रहा है। रैली में ममता बनर्जी एक तरफ तो भजापा के विरोध में साझा मंच बना रही है, वहीं दूसरी ओर ये खुद पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने जा रही हैं। वहीं कांग्रेस को भी भरोसा नहीं है कि चुनावों में तृणमूल कांग्रेस समझौता करेगी या नहीं? लेफ्ट से कांग्रेस व तृणमूल कोई भी तालमेल करती नहीं दिख रही। इसी तरह यूपी में भी भाजपा विरोधी दो मोर्चे होंगे। पहला सपा-बसपा और दूसरा कांग्रेस व छोटे दलों का। अखिलेश यादव ने कहा था कि अगला पीएम यूपी से ही होगा लेकिन शनिवार को कोलकाता में उस रैली को संबोधित किया जिसे ममता बनर्जी को बतौर पीएम प्रोजेक्ट करने के लिए आयोजित किया गया था। आंध्र और तेलंगाना की तस्वीर भी ऐसी ही है। तेलंगाना चुनावों में कांग्रेस-टीडीपी ने गठबंधन किया और करारी हार झेली। अब लोकसभा चुनावों में दोनों दल फिर साथ लड़ेंगे इसमें संदेह है। पंजाब व दिल्ली में आप-कांग्रेस साथ लड़ने को तैयार नहीं है। हरियाणा में सिर्प इनेलो-बसपा के बीच समझौता हुआ है, तमिलनाडु में डीएमके, एआईडीएमके भाजपा के खिलाफ लड़ेगी ही लेकिन एमडीएमके, पीएम के जैसे दल भी मोर्चा बना सकते हैं। ओडिशा में बीजेडी और कांग्रेस अलग-अलग लड़ेंगे। जम्मू-कश्मीर में भी पीडीपी-नेकां और कांग्रेस अलग-अलग लड़ेंगे ऐसा नजर आ रहा है। जाहिर है कि सिर्प मोदी के विरोध से काम नहीं चलेगा, विपक्षी मोर्चों के सामने एकजुट होकर अपने-अपने मतभेदों को दरकिनार करके एक साथ आगे बढ़ने की बड़ी चुनौती है। (समाप्त)

-अनिल नरेन्द्र

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