दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन का इस्तीफा मंजूर होने के साथ ही दिल्ली
में अगले प्रदेशाध्यक्ष को लेकर कवायद शुरू हो गई है। वैसे तो अजय माकन के इस्तीफे
की खबर कई दिनों से चल रही थीं पर अब जाकर कंफर्म हुआ है कि वाकई ही उन्होंने शुक्रवार
को अपनी सेहत का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया जो मंजूर भी हो गया है। लगभग 15 साल तक दिल्ली में लगातार सत्ता में रही कांग्रेस वापस अपनी
जमीन पाने के लिए बेताब है, हाथ-पांव मार
रही है। ऐसे में कांग्रेस को तलाश ऐसे चेहरे की है, जो जमीन से
जुड़ा हो, सबको साथ लेकर चल सके। एक महीने तक दिल्ली की राजनीतिक
फिजा कुछ और थी लेकिन जमीनी नेता सज्जन कुमार जो जाटों के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे,
के जेल जाने के बाद समीकरण प्रदेश कांग्रेस में तेजी से बदले हैं। बेताज बादशाह होते हुए भी
उनकी मौजूदगी हर तरफ रहती थी और आज उनका गुट विशेषकर जाट बैल्ट जो हरियाणा से भी जुड़ती
है, में अजीबोगरीब हालात बने हुए हैं। कांग्रेस रणनीतिकार अब
इसलिए एक ऐसे स्वच्छ नेता की तलाश में हैं जिसकी छवि बेदाग हो, पढ़ा-लिखा हो और हर वर्ग में उसकी स्वीकार्यता हो। जबकि
पार्टी में राहुल गांधी के नजदीकियों ने जाति-पाति को लेकर नया
फार्मूला तैयार किया है और पुराने फार्मूले के आधार पर पुराने अध्यक्षों के कार्यकाल
में राजपाट सिमट जाने के उदाहरण भी दिए हैं। वैश्य, सिख समाज
और पंजाबी के रूप में जय प्रकाश अग्रवाल, अरविन्दर सिंह लवली
और अजय माकन का उदाहरण देकर आज कांग्रेस को अपनी जमीन मजबूत किए जाने की जरूरत पर बल
देते हुए रणनीतिकारों ने कहा है कि ओबीसी और मुसलमान या दलित के साथ-साथ ब्राह्मण कम्बीनेशन भी चलाया जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस की तलाश ऐसे
चेहरे की है जो सभी वर्गों को साथ लेकर चल सके। इसमें निर्विवाद रूप से पूर्व सीएम
शीला दीक्षित का नाम है लेकिन उनकी उम्र और सेहत को देखते हुए पार्टी कई विकल्पों पर
भी गौर कर रही है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी दो विकल्पों पर गौर कर रही है। पहला,
एक अध्यक्ष बनाकर तीन वर्किंग प्रेजिडेंट बनाए जाएं। दूसरा, एक इंडिपेंडेंट अध्यक्ष को दिल्ली कमान सौंपी जाए। एक अध्यक्ष और तीन वर्किंग
प्रेजिडेंट के ऑप्शन के पीछे दलील जातीय समीकरणों को साधने का फोकस है। बताया जा रहा
है कि इनमें एक दलित, एक पंजाबी-सिख और
एक जाट (मुस्लिम) पूर्वांचली हो सकता है।
अध्यक्ष के तौर पर जहां शीला दीक्षित का नाम आगे चल रहा है, वहीं
दलित के तौर पर युवा नेता राजेश लिलोठिया, पंजाबी चेहरे के तौर
पर प्रह्लाद सिंह साहनी/अरविन्दर सिंह लवली और जाट चेहरे में
योगानंद शास्त्राr/मुस्लिम चेहरे/पूर्वांचली
चेहरे के तौर पर महाबल मिश्रा का नाम चर्चा में है। कुल मिलाकर दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष
का ताज उसे मिलेगा जो लोकसभा के लिए भी बेहतर परिणाम दे सके। फिलहाल राहुल चाहते हैं
कि दिल्ली में 2020 विधानसभा चुनाव में गुटों में बंटी कांग्रेस
को बांधकर रख सकें और कांग्रेस को दिल्ली में उसकी खोई जमीन लौटा सकें। मध्यप्रदेश
और छत्तीसगढ़ में भी तो कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आई है।
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