Saturday 19 January 2019

एक पखवाड़े में ठंड से 96 की मौत

कड़ाके की ठंड से बचने के लिए नोएडा में एक ओला कैब चालक ने मंगलवार देर रात सवारी छोड़कर अंगीठी कैब में ही जला दी। नींद आने पर कैब में ही अंगीठी रख ली और दरवाजे को लॉक कर सो गया। इससे दम घुटने से उसकी मौत हो गई। मृत कैब चालक की पहचान सतेन्द्र (25) के रूप में हुई। दिल्ली में चलने वाली सर्द हवाओं का असर सबसे ज्यादा खुले आसमान के नीचे सोने वालों, बेसहारा और बेघर लोगों पर देखने को मिल रहा है। ठंड के कारण एक जनवरी 2019 से लेकर 14 जनवरी 2019 तक के ऐसे 96 लोगों की मौत हो चुकी है। सेंटर फॉर हॉलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) नाम की एक संस्था ने यह दावा किया है। संस्था का मानना है कि अकेले दिल्ली में ही ठंड ने 96 लोगों की जान ले ली है। सबसे ज्यादा मौतें उत्तरी दिल्ली इलाके में हुई हैं। इसमें सिविल लाइंस, सराय रोहिल्ला और कश्मीरी गेट का इलाका शामिल है। इन इलाकों में 14 दिन के अंदर 23 लोगों की मौत हुई है। उत्तर-पश्चिम से आ रही सर्द हवाओं से दिल्ली-एनसीआर को राहत नहीं मिल रही है। सर्द हवाओं व आंशिक रूप से बादल छाए रहने से जनवरी के मध्य तक शीत लहर का प्रकोप जारी रहेगा। बुधवार को बीते सात साल में सबसे सर्द सुबह रही। न्यूनतम तापमान सामान्य से लगभग तीन डिग्री कम 4.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह जनवरी में तीसरी बार है जब न्यूनतम तापमान में इतनी गिरावट हुई है। इससे पहले एक जनवरी 2019 को 4.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। मौसम विभाग की मानें तो उत्तर-पश्चिम से आ रही हवाएं जनवरी में दिल्ली को सामान्य से ज्यादा ठंडा बना रही हैं। विभाग ने बृहस्पतिवार को दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, यूपी व राजस्थान में भी शीत लहर के जारी रहने का अलर्ट जारी किया है। विभाग की मानें तो अभी तीन-चार दिन तक ऐसे ही सर्द हवाएं परेशान करेंगी। उसके बाद मौसम गरम होना शुरू होगा। मौसम विभाग के मुताबिक हाल ही में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में हिमपात हुआ है। वहीं पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में बारिश दर्ज की गई। मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख ने बताया कि 18 जनवरी से पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना है इससे तापमान बढ़ेगा। वहीं 21 22 जनवरी को बूंदाबांदी हो सकती है। इस कड़ाके की ठंड से सबको बचने के लिए पर्याप्त कपड़े पहनने चाहिए और बच्चों का खास ख्याल रखना होगा। सुबह-सुबह बच्चे जब स्कूल जाते हैं तो कभी-कभी स्कूल ड्रेस के चलते वह पर्याप्त गरम कपड़े नहीं पहन सकते।

-अनिल नरेन्द्र

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