पिछले
कुछ समय से सरकारी एजेंसियों ने सोनिया गांधी,
राहुल गांधी और दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर केसों की भरमार लगा दी है। गांधी
परिवार को चौतरफा केसों का सामना करना पड़ रहा है। पहले बात करते हैं सोनिया गांधी
के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धनशोधन के नए मामले में रॉबर्ट की परेशानी
बढ़ सकती है। उनके करीबी मनोज अरोड़ा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट
में अपील भी उनकी चिन्ता बढ़ाने वाली है। हालांकि ऐसे हर मामले को राजनीतिक प्रतिशोध
के रूप में भी देखा जा रहा है। जहां इस बार वाड्रा एवं उनके कथित तौर पर जुड़ी कंपनी
के खिलाफ धनशोधन कानून के तहत मामला दर्ज हुआ है वहीं सोनिया गांधी और राहुल गांधी
नेशनल हेराल्ड मामले में फंस गए हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा है कि
राजधानी में आईटीओ के प्रेस एरिया में स्थित नेशनल हेराल्ड परिसर खाली करने संबंधी
एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के प्रकाशक एसोसिएटिड जर्नल्स
लिमिटेड (एजेएल) की याचिका पर
16 जनवरी को सुनवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि एकल-न्यायाधीश ने यहां आईटीओ स्थित प्रेस एरिया में परिसर खाली करने के केंद्र
के आदेश के खिलाफ दायर एजेएल की याचिका 21 दिसम्बर
2018 को खारिज कर दी थी। न्यायाधीश ने एजेएल को दो सप्ताह में आईटीओ
परिसर खाली करने का आदेश देते हुए कहा था कि इस अवधि के बाद सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जा हटाना) अधिनियम, 1971 के तहत परिसर खाली कराने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एजेएल ने एकल-न्यायाधीश के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय
का दरवाजा खटखटाया था। एकल न्यायाधीश ने कहा था कि एजेएल पर यंग इंडिया (वाईआई) ने कब्जा कर लिया जिसकी (वाईआई) हिस्सेदारी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी
मां सोनिया गांधी के पास है। केंद्र और भूमि एवं विकास कार्यालय (एलडीओ) ने अपने आदेश में कहा था कि बीते कम से कम
10 साल में परिसर में कोई प्रेस काम नहीं कर रही है और यहां समझौते का
उल्लंघन करके इसका केवल वाणिज्यक उद्देदश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। एजेएल
ने इन आरोपों से इंकार किया था। एक तरफ जहां हेराल्ड बिल्डिंग खाली करवाने की प्रक्रिया
चल रही है वहीं दूसरी ओर आयकर विभाग ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर
2011-12 में 155.4 करोड़ रुपए और 155 करोड़ रुपए की रिकवरी का फैसला किया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा
है। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के
31 दिसम्बर 2018 को जारी सर्पुलर को लेकर यूपीए
अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य के हलफनामे दाखिल करने
का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग से इनके हलफनामे पर एक हफ्ते में
जवाब देने को भी कहा है। जस्टिस एके सीकरी, एस. अब्दुल नजीर और एमआर शाह की बेंच ने उस अंतरिम आदेश की अवधि को भी बढ़ा दिया
है, जिसके अनुसार इनके खिलाफ आदेश तो पास कर सकता है,
लेकिन केस का निपटारा होने तक लागू नहीं कर सकता है। बेंच ने अगली सुनवाई
29 जनवरी की तय की है, इससे पहले आयकर विभाग ने
सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 2011-12 की अवधि में इनके (सोनिया, राहुल और ऑस्कर फर्नांडीस) टैक्स का निर्धारण फिर से किया गया है और उनके खिलाफ आदेश पारित किया है लेकिन
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक वह आदेश लागू नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी की सीबीडीटी के 31 दिसम्बर को उस सर्पुलर को भी रिकॉर्ड में लाने के लिए कहा है जिसे चार दिनों
के बाद वापस ले लिया गया था। ऐसा दावा किया जा रहा है कि उस सर्पुलर से राहुल व सोनिया
को आयकर मामले में राहत मिल सकती है। मालूम हो कि गत चार दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट
ने आयकर विभाग को पुनर्मूल्यांकन करने की प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया था।
हालांकि यह साफ किया था कि जब तक उसके द्वारा इस मामले का अंतिम निपटारा नहीं कर लिया
जाता तब तक आयकर विभाग के निर्णय का क्रियान्वयन नहीं होगा। इससे पहले राहुल-सोनिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी. चिदम्बरम ने पीठ
से कहा कि गत 31 दिसम्बर को सीबीडीटी ने कंपनी के शेयर से संबंधित
एक सर्पुलर जारी किया था। उस सर्पुलर के मुताबिक नए सिरे से शेयर जारी करना कर के दायरे
में नहीं आएगा। लेकिन इस सर्पुलर को चार जनवरी को वापस ले लिया गया। इस पर जस्टिस एके
सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने चिदम्बरम को 31 दिसम्बर के सर्पुलर
को रिकॉर्ड में लाने के लिए कहा था। गांधी परिवार को चौतरफा घेरने के प्रयास को राजनीतिक
प्रतिशोध के रूप में भी लिया जा रहा है। राहुल गांधी ने कहा है कि वह इन केसों से डरने
वाले नहीं और जमकर लड़ेंगे।
-अनिल नरेन्द्र
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