Wednesday, 2 January 2019

द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर के ट्रेलर पर छिड़ा सियासी घमासान

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के राजनीतिक जीवन पर बनी फिल्म `द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' को लेकर विवाद शुरू हो गया है। गुरुवार रात भाजपा के ट्विटर हैंडल से इसका ट्रेलर पोस्ट किया गया। शुक्रवार को इस पर मीडिया ने मनमोहन सिंह से सवाल किया तो वे बिना जवाब दिए आगे बढ़ गए। भाजपा ने फिल्म का ट्रेलर ट्वीट पर लिखा है कि इस फिल्म की कहानी बताती है कि कैसे एक परिवार ने 10 सालों तक देश को बंधक बनाकर रखा था। क्या डाक्टर मनमोहन सिंह सिर्प इसलिए तब तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे, जब तक उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी तैयार न हो जाए? देखें इनसाइडर्स अकाउंट पर आधारित द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर का ट्रेलर जो 11 जनवरी को रिलीज हो रही है। भाजपा के ट्वीट के जवाब में कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा का यह दुप्रचार हमें राजग सरकार की ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं, बेरोजगारी, नोटबंदी की त्रासदी, जीएसटी को गलत ढंग से लागू करने, अर्थव्यवस्था की स्थिति और भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार से सवाल करने पर नहीं रोक सकता। कांग्रेस के स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान जब पत्रकारों ने इस फिल्म के बारे में पूछा तो पूर्व प्रधानमंत्री मनोहन सिंह ने कोई टिप्पणी नहीं की। राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस संगठन के महासचिव अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस के खिलाफ यह दुप्रचार काम नहीं करेगा और सच की जीत होगी। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे में कथित अनियमितताओं, नोटबंदी और किसानों की आत्महत्या पर भी फिल्म बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह फिल्म कोई आकस्मिक नहीं है। भाजपा ने इस फिल्म के वास्ते अपना खजाना खोल दिया है। मैंने यह पहली बार देखा है कि किसी दल का ट्विटर हैंडल पर इसका प्रचार कर रहा है। यह फिल्म मनमोहन सिंह के 2004 से 2014 तक के उनके पीएम कार्यकाल पर बनी है। द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर के तीन मिनट के ट्रेलर में सोनिया गांधी के मनमोहन सिंह को पीएम चुनने से लेकर परमाणु समझौता, कश्मीर मुद्दे और यूपीए सरकार में हुए घोटालों का भी उल्लेख है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे मनमोहन सिंह को कुर्सी से हटाकर राहुल गांधी को पीएम बनाने की प्लानिंग होती है। इसमें भी दिखाया गया है कि कैसे मनमोहन तमाम मुसीबतों को खामोशी के साथ सहते हैं। मनमोहन का किरदार निभाने वाले अनुपम खेर ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि यह फिल्म ऑस्कर के लिए चुनी जानी चाहिए, लेकिन इस पर विवाद शुरू हो गया है। खेर ने कहा कि मेरे 575 फिल्मों और 35 साल के कैरियर में यह सबसे कठिन फिल्म है। आज से 25 साल बाद जब फिल्मों का इतिहास लिखा जाएगा तो इस फिल्म का नाम पहले लिया जाएगा। वहीं केंद्रीय सूचना व प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने कहाöकांग्रेस स्वतंत्रता की पक्षधर रही है तो अब वो उसी आजादी पर क्यों सवाल उठा रही है? 11 जनवरी 2019 को रिलीज हो रही यह फिल्म तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू की लिखी किताब द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर पर आधारित है। सेंसर बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष प्रसून जोशी को इतिहास कम से कम इस फिल्म के ट्रेलर को बिना किसी अड़चन के पास करने के लिए याद रखेगा। यह ट्रेलर आने वाले दिनों के लिए नजीर है कि अब भारत में सियासी किरदारों पर फिल्में बनाने के लिए संबंधित लोगों की अनुमति लेना जरूरी नहीं है। बस डिस्क्लयेर डालने से काम चल सकता है। द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर का ट्रेलर कई मायनों में दर्शनीय बन चुका है। पहली बात तो यह कि इसमें जो भी किरदार दिखाए गए हैं, उनका नाम बदलने या उन्हें किसी और काल्पनिक दुनिया में पेश करने की कोशिश नहीं की गई है। निर्देशक विजय रत्नाकर गुट्टे ने इस लिहाज से जिगर वाला काम किया है। पर्दे के पीछे से उन्हें यह फिल्म बनाने के लिए किसकी मदद मिली यह फिल्म किसी दूसरे सियासी दल का प्रोपेगंडा है कि नहीं, यह बातें तो फिल्म के रिलीज के बाद तक होती रहेंगी, लेकिन फिल्म की पहली झलक उस जॉनर के सिनेमा की देश में दस्तक की गवाही है, जिसे बॉलीवुड में पोलिटिकल कांस्पेरसी (राजनीतिक षड्यंत्र) सिनेमा कहा जाता है, ट्रेलर में अनुपम खेर को पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में दिखना चौंकाता इसलिए नहीं है क्योंकि इस किरदार को लेकर महीनों से चर्चा चल रही है। हां चौंकाने वाली बात यह है कि अनुपम खेर ने इस किरदार के छत्तीसों गुण हूबहू पकड़ लिए हैं। सोनिया, प्रियंका और राहुल के किरदारों के लिए की गई कास्टिंग भी दमदार दिखती है और संजय बारू के रोल में अक्षय खन्ना भी अपना असर छोड़ने में कामयाब रहे। बहुत कम फिल्मों में ट्रेलर से ही विवाद शुरू हुआ है। यह फिल्म ऐसे समय में आ रही है जब 2019 लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। इसकी टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठने स्वाभाविक हैं। क्या यह कांग्रेस को डाउन करने की एक साजिश है? क्या इस फिल्म से कांग्रेस को नुकसान होगा और भाजपा को फायदा, यह तो आने वाले दिन बताएंगे लेकिन आज संजय बारू को कोसने वाले भी कम नहीं हैं जो यह कह रहे हैं कि पैसों की खातिर घटिया लोकप्रियता पाने के लिए उन्होंने जो बातें गुप्त रखनी चाहिए थीं उन्हें सार्वजनिक कर दिया है।

-अनिल नरेन्द्र

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