Friday, 4 January 2019

क्या ईडी यह साबित कर सकेगी कि गांधी परिवार सौदे में लिप्त था?

अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदा मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दावा कि आरोपी बिचौलिया क्रिश्चियन मिशेल ने पूछताछ में गांधी परिवार का जिक्र करते हुए इटली की महिला मिसेज गांधी और उनके बेटे का नाम लिया, से एक सियासी तूफान उठ गया है। हालांकि यह साफ नहीं हो सका कि नाम किस संदर्भ में लिया गया? भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस डील के बिचौलिये मिशेल और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच पुरानी और गहरी दोस्ती होने का आरोप लगाया है। शाह ने सोमवार को एक के बाद एक ट्वीट कर कांग्रेस पर कई आरोप लगाए। शाह ने दावा किया कि मिशेल ने अपने वकील को जांच अधिकारियों के प्रश्नों का ब्यौरा दिया था। वकील ने इसे माना है। शाह ने सवाल उठाया कि क्या आरोपी सवालों से जुड़ी जानकारी श्रीमती गांधी तक पहुंचाना चाहता है? दूसरी ओर कांग्रेस ने अगस्ता मामले में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कंपनी से मिले होने का आरोप लगा दिया। कांग्रेस का कहना है कि अगस्ता वेस्टलैंड सौदे को लेकर बिचौलिये मिशेल से गांधी परिवार की कभी कोई मुलाकात नहीं हुई। पार्टी ने इस मामले में भाजपा को सबूत पेश करने की चुनौती दी है। पार्टी का तर्प यह भी है कि अगर अगस्ता वेस्टलैंड से कांग्रेस को किसी तरह का फायदा पहुंचा होता तो वह उसके खिलाफ इतने कड़े प्रतिबंध नहीं लगाती। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि पिछली यूपीए की सरकार ने अगस्ता कंपनी से 1620 करोड़ रुपए के स्थान पर 2068 करोड़ रुपए वसूले, उनके तीन हेलीकॉप्टर जब्त किए, उसे काली सूची में डाला और उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की। उन्होंने कहा कि वहीं मोदी सरकार ने इस कंपनी पर लगातार मेहरबानियां कीं। जो साबित करता है कि वो इस कंपनी से मिले हुए हैं और अब वह कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ कथित बिचौलिये मिशेल के बहाने झूठी कहानियां गढ़ रही है। किसी भारतीय एजेंसी ने पहली बार आधिकारिक रूप से भले ही इस सौदे में श्रीमती गांधी का नाम लिया हो, लेकिन इसे साबित करने के लिए सबूत जुटाना टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। अभी तक जांच में एजेंसियां गांधी परिवार तो क्या उनके किसी करीबी तक पहुंचने में भी विफल रही हैं। भारत में तीन कंपनियों तक दलाली की रकम पहुंचने के सबूत मिले हैं, लेकिन जांच उसके आगे नहीं बढ़ पा रही है। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि सिर्प मिशेल के बयान के आधार पर किसी को आरोपित बनाना संभव नहीं है। इसके लिए ठोस सबूत जुटाना होगा। ढाई साल की कड़ी जांच-पड़ताल के बाद भी गांधी परिवार और उनके किसी करीबी तक रिश्वत की रकम पहुंचने का कोई सबूत अभी तक नहीं मिल सका है। शायद यही कारण है कि अब ईडी चुप है। क्या यह मुद्दा सरकार पर राफेल मामले को कमजोर करने के लिए उठाया जा रहा है, ताकि किसी न किसी तरह सोनिया गांधी और राहुल को इसमें जबरन घुसाया जाए या फिर ईडी यह साबित कर देगी कि गांधी परिवार इस सौदे में लिप्त था?

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