Sunday, 10 November 2019

खाताधारियों को बैंकों में अपना पैसा असुरक्षित लग रहा है

बैंकों में धोखाधड़ी के मामलों में इतनी तेजी आई है कि आए दिन अखबारों में खबरें आती हैं कि आज फ्लां बैंक में धोखाधड़ी का मामला प्रकाश में आया है। हाल ही में सीबीआई ने कनॉट प्लेस स्थित ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और राजेन्द्र प्लेस स्थित आंध्रा बैंक में हुए 363.72 करोड़ रुपए के घोटाले के सिलसिले में करोल बाग के लाल संस ज्वैलर्स और लारेंस रोड स्थित श्रीनाथ रोलर मिल्स के निवेशकों, गारंटरों सहित बैंक के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सूत्रों का कहना है कि करोड़ों के घोटाले में शामिल लाल संस ज्वैलर्स के तार दुबई से जुड़े हैं। इस मामले की तफ्तीश की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक कनॉट प्लेस के हर्षा भवन स्थित ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के डीजीएम राजीव कुमार की तरफ से सीबीआई मुख्यालय में चार नवम्बर को शिकायत दर्ज की गई थी। शिकायत में कहा गया था कि करोल बाग रैगरपुरा स्थित लाल संस ज्वैलर्स के निवेशक सोने के कारोबार से जुड़े हैं। वर्ष 1994 में कंपनी ने मशीन से आभूषण बनाने शुरू किए थे। बैंक की तरफ से कंपनी को सोल बैंकिंग के तहत कर्ज के लिए कई तरह की सुविधाएं दी जा रही थीं। बताया गया कि बैंक ने कंपनी को कुल 222.96 करोड़ रुपए का ऋण दिया था, जो वापस नहीं लौटाया। सीबीआई का कहना है कि जांच के दौरान पता चला है कि करोड़ों के इस घोटाले में लाल संस की दुबई स्थित कंपनी पासी ज्वैलर्स के बीच साठगांठ है। घोटाले में दोनों कंपनियों के निवेशकों और अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आज हर व्यक्ति अपने पैसे बैंक में रखने से आशंकित है। यह स्वाभाविक है कि पूरा देश चाहता है कि धोखाधड़ी पर अंकुश लगे और धोखाधड़ी में शामिल बैंक कर्मचारी कानून की गिरफ्त में आएं। सीबीआई ने हाल में धोखाधड़ी के मामले में एक साथ करीब 175 स्थानों पर देशभर में छापा मारा था जिसका हम स्वागत करते हैं। अभी जो आंकड़े सामने आए हैं, उनके अनुसार 2018-19 में धोखाधड़ी के लगभग सात हजार मामले सामने आए जिनमें करीब 72000 करोड़ रुपए का घपला हुआ। एटीएम और केडिट कार्ड के जरिये धन निकाल लेने से लेकर सीधा खाते तक से पैसे गायब हो रहे हैं। ऐसे मामले रोज सुनने में तथा पढ़ने में आ रहे हैं कि कर्ज के नाम पर लिए गए रुपए उसका क्या हुआ किसी को पता नहीं। यह काम बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से ही संभव है। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं कि बैंक अधिकारियों ने डेड एकाउंट से भी मोटे पैसे निकाल लिए। भारतीय रिजर्व बैंक ने नियम बना दिया है कि किसी खाते से धोखाधड़ी से पैसे निकाले हैं तो संबद्ध बैंक उतना ही पैसा जमा करेगा। पर यह कहना आसान है। वर्षों लग जाते हैं बैंकों को यह पैसा लौटाने में। काफी दौड़-धूप करने के बाद कुछ लोगों के पैसे जमा होते हैं पर ज्यादातर के नहीं। यह स्थिति बदलनी चाहिए। आज हर व्यक्ति के लिए अपनी जमा पूंजी बैंक में जमा रखना अनिवार्य जैसा ही है। उनके धन की सुरक्षा का दायित्व बैंकों का है और प्रकारांतर से सरकार का भी। इसलिए सरकार को समय-समय पर सुरक्षा के लिए समीक्षा बैठक करनी चाहिए। लोगों में जो यह भय पैदा हो गया है कि आज बैंकों में उनका पैसा सेफ नहीं है, यह डर दूर होना चाहिए।

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