Friday 8 November 2019

आरबीआई बताए जमाकर्ताओं की मदद के लिए क्या कदम उठाए?

बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से यह जानने की कोशिश की कि उसने घोटाले की मार झेल रहे पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं? न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति आरआई फागला की खंडपीठ बैंक के जमाकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में आरबीआई की निकासी सीमा को चुनौती दी गई है। आरबीआई ने पीएमसी बैंक में कथित वित्तीय अनियमितता सामने आने के बाद नकद निकासी समेत अन्य प्रतिबिंब लगाए थे। सबसे पहले आरबीआई ने निकासी की सीमा छह महीने के लिए केवल 1000 रुपए तय की थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 10,000 रुपए और फिर बढ़ाकर 40,000 रुपए कर दिया गया था। पीठ ने सोमवार को कहा कि वह सिर्प यह जानना चाहती है कि आरबीआई ने इस मामले में क्या किया है? अदालत ने कहा कि आरबीआई को इस बैंक के सभी कामों की जानकारी है। आरबीआई बैंकों का बैंक है और इस तरह के मुद्दों के लिए विशेषज्ञ निकाय है। हम आरबीआई के काम में बाधा नहीं डालना चाहते और न ही उसके अधिकारों को कम करना चाहते हैं। न्यायालय ने कहा कि इस तरह के वित्तीय मामलों में आरबीआई ही न्यायाधीश होगा, न कि अदालत। अदालत ने आरबीआई को हलफनामा जमा करने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 नवम्बर की तारीख तय की है। न्यायालय ने इस मामले में किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। एक याचिकाकर्ता ने न्यायालय से ग्राहकों को अपने लॉकरों का उपयोग करने की अनुमति देने का आरबीआई को निर्देश देने की मांग भी की थी। अदालत ने किसी तरह का आदेश देने से मना करते हुए कहा कि हम लॉकर तक पहुंच की अनुमति नहीं दे सकते हैं। हम या फिर कोई भी आरबीआई को कार्रवाई करने से कैसे रोक सकते हैं? अगर आरबीआई कहता है कि बैंक से दूर रहें, तो ऐसा ही करें। अदालत ने कहा कि जमाकर्ता अगर चाहें तो बैंक पर मुकदमा कर सकते हैं। पीठ ने कहा कि वकीलों को जमाकर्ताओं को झूठी उम्मीद नहीं देनी चाहिए कि अदालत उसकी मदद करेगी। न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा कि अदालत जादूगर नहीं है। जमाकर्ताओं को झूठी उम्मीद न दें। ताजा घटनाक्रम में आरबीआई ने खाताधारियों को थोड़ी राहत देते हुए अपने बैंक खाते से छह महीने में 50,000 रुपए तक निकालने की अनुमति दे दी है जो मौजूदा समय में यह सीमा 40,000 रुपए थी।

-अनिल नरेन्द्र

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