Friday 1 November 2019

कुत्ते की मौत मरा अबू-बकर अल-बगदादी

समूची दुनिया में खौफ और बर्बरता का पर्याय बन चुके इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और सीरिया यानि आईएसआईएस के सरगना अबू-बकर अल-बगदादी के मारे जाने की खबर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और आतंक के प्रतीक एक बड़ी घटना के रूप में दर्ज की जाएगी। शायद ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद यह आतंक के खिलाफ लड़ाई में यह सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे पहले भी कई बार उसके मारे जाने की खबरें आईं। लेकिन कुछ समय बाद वह निराधार निकलीं। इस बार अमेरिकी सुरक्षा बल डेल्टा फोर्स कमांडोज के एक गोपनीय अभियान के बाद जिस तरह के तथ्य सामने आए हैं, उनसे यही लगता है कि इस बार दुनिया को बगदादी और उसके आतंक से मुक्ति मिली है। बगदादी का अंत भी जबरदस्त हुआ। बताते हैं कि अमेरिकी कमांडो और डॉग स्कवॉड को देख वह आत्मघाती जैकेट पहनकर अपने ठिकाने की सुरंग से भागा। उसने अपने तीन बच्चों को ढाल बनाया। लेकिन अमेरिकी मिलिट्री के स्पेशल ट्रेंड के-9 कुत्ते उसके पीछे भागे। इस दौरान बगदादी रोता, चीखता, चिल्लाता रहा। जब वह सुरंग के आखिर में पहुंचा और देखा कि अब बचने का कोई रास्ता नहीं है तो उसने अपने तीन बच्चों को सीने से लगाकर खुद को आत्मघाती बेल्ट से उड़ा लिया। धमाके में वह खुद तो मरा साथ अपने तीन बच्चों को भी ले डूबा। बगदादी के शरीर के चीथड़े उड़ गए लेकिन डीएनए टेस्ट से उसकी पहचान हुई। अबू-बकर अल-बगदादी के गुप्त ठिकाने की जानकारी देने वाले मुखबिर ने उसकी मौत के बाद शव के डीएनए टेस्ट में भी बड़ी मदद की। दिलचस्प बात यह है कि बगदादी के शव की 100 प्रतिशत पुष्टि के लिए उसके गंदे अंडरवेयर्स से मिलान किया गया था, जिसे मुखबिर ने चुराकर अपने पास रखा था। अमेरिकी सेना ने बताया कि हम नियमों और लॉ ऑफ आर्म्ड कॉनिफ्लकर के तहत बगदादी के शव का निपटारा किया गया। रक्षा सूत्रों ने स्पष्ट करते हुए बताया कि उसकी मौत के बाद डीएनए टेस्ट किया गया और फिर शव को समुद्र में दफना दिया गया। ठीक उसी तरह जैसे 2011 में खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन के साथ किया गया था। बगदादी लादेन से बहुत प्रभावित था और उसी के नक्शे कदम पर चलते हुए उसकी मौत का बदला लेना चाहता था। इस तरह दुनिया के दो खूंखार आतंकियों से मुक्ति मिली जिन्होंने अपने खूनी खेल से पूरी मानवता को थर्रा दिया था। इस्लामी आतंकवाद का घृणित मुहावरा उनके कारण ही शुरू हुआ। उनके कृत्यों के कारण ही पूरी दुनिया में मुस्लिम समुदाय को संदिग्ध छवि का शिकार होना पड़ा। बगदादी दरअसल उस वहाबी विचारधारा से प्रेरित था जो दुनिया में इस्लामी असूलों पर आधारित मध्यकालीन राज्य की पुनर्स्थापना करना चाहता था। वह अपने विचारों को फैलाने में भी कुछ हद तक सफल रहा क्योंकि बेशक वह तो मर गया है पर दुनिया के कई हिस्सों में उसकी  विचारधारा से प्रभावित छोटे-छोटे आतंकी सेल बन चुके हैं। भारत में भी उसकी जड़ें सुनने को मिलती हैं। बहरहाल उसके मरने से दुनिया सेफ हो गई है। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अब बगदादी का सफाया अमेरिका और उसके साथियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि जरूर है।

-अनिल नरेन्द्र

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