12 दिन पहले झाबुआ
विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा को एक और झटका लगा
है। तहसीलदार से मारपीट और बलवे के मामले में भोपाल की विशेष अदालत द्वारा दोषी ठहराए
गए पन्ना जिले की पवई सीट से भाजपा विधायक प्रह्लाद लोधी की सदस्यता विधानसभा ने शनिवार
को समाप्त कर दी। साथ ही नोटिफिकेशन की प्रक्रिया कर केंद्रीय चुनाव आयोग को पवई सीट
रिक्त होने की सूचना भी भेज दी। गुरुवार को न्यायालय ने लोधी को दो साल की सजा दी थी।
इस फैसले की प्रमाणित प्रति शनिवार को विधानसभा पहुंची तो विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति
ने कोर्ट के फैसले के पालन में प्रह्लाद लोधी की सदस्यता समाप्त कर दी। लोधी ने इस
फैसले को तानाशाहीपूर्ण बताया और कहा है कि मुझे इसकी कोई सूचना नहीं दी गई। मैं इस
फैसले को बड़ी अदालत में चुनौती दूंगा। प्रह्लाद लोधी ने बताया कि मैं जिला पंचायत
सदस्य का चुनाव लड़ा तो मुझे मुकेश नायक ने रोका। जीता तो कांग्रेस के लोगों ने ट्रक
चढ़ाकर मेरी हत्या की कोशिश की। विधानसभा चुनाव में मैंने मुकेश नायक को 24
हजार वोटों से हराया था। मेरे साथ अब बदले की कार्रवाई की गई है। आज
तक मुझे कोई नोटिस नहीं दिया गया। कोर्ट ने मुझे जमानत दे दी है। 12 दिसम्बर तक हाई कोर्ट जाने का मौका दिया, लेकिन इसके
पहले ही साजिश के तहत मेरी सदस्यता रद्द कर दी गई। जनता मेरे साथ है। पवई से कोई नहीं
जीत सकता। जिसको मैं जितवाऊंगा, वही जीतेगा। विधायक मेरा ही बनेगा।
मैं ही विधायक बनूंगा। कोर्ट से न्याय मांगूंगा, दिल्ली तक जाऊंगा।
विधानसभा का कहना है कि दि रिप्रेजेंटेशन ऑफ दी पीपुल एक्ट 1957 की धारा 8(3) में स्पष्ट है कि यदि किसी जनप्रतिनिधि
को दो साल या इससे अधिक सजा हुई है तो वह अयोग्य हो जाएगा। पवई सीट से प्रह्लाद लोधी
की विधायकी समाप्त होने के बाद भाजपा-कांग्रेस में तकरार बढ़
गई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार सुबह कहा कि अभी दो-तीन
सीटें और कांग्रेस के पास आएंगी, इंतजार कीजिए। उन्होंने कटाक्ष
किया कि 15 साल से भाजपा नेताओं के कारनामे सामने आ रहे हैं।
अभी तो और आएंगे। दोपहर करीब पौन दो बजे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस
कांफ्रेंस बुलाई और कहा कि कांग्रेस जो हथकंडे अपना रही है, भाजपा
उसका मुंहतोड़ जवाब देगी। उन्होंने कहा कि दि रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट की जिस
धारा 191 के तहत सीट रिक्त हो गई, उसका
अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को है ही नहीं। यह अधिकार तो राज्यपाल का है। राजनीतिक लाभ
के लिए यह फैसला दिया गया है। उधर नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह का कहना है कि
2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा
8(4) को निरस्त किया जा चुका है। शिवराज जी आप कानून और कोर्ट के आदेश
पर विवेक से काम लीजिए। फिलहाल तो भाजपा को मध्यप्रदेश में एक और झटका लग ही गया है
और कमलनाथ और ताकतवर होकर निकले हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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