Saturday, 2 November 2019

शरद पवार ने साबित कर दिया कि वह हारी बाजी जीतना जानते हैं

किसी एक चुनाव से किसी भी सियासी दल को खारिज नहीं किया जा सकता। आप मराठा क्षत्रप शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को ही ले लीजिए। एनसीपी ने हाल में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से यह बात साबित कर दी है। चुनाव से पहले कहा जा रहा था कि एनसीपी के लिए इस बार संभावनाएं बेहतर नहीं हैं। हालात यह थे कि सहयोगी कांग्रेस पार्टी की टॉप लीडरशिप ने महाराष्ट्र के प्रचार में बहुत ज्यादा उत्साह और दिलचस्पी नहीं दिखाई। खुद अपनी ही पार्टी के नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों के छापे और परिवार की अंदरूनी लड़ाई भी शरद पवार के लिए सिरदर्द बन गई थी। हालांकि इन सभी स्थितियों के बीच शरद पवार अकेले ही डटे रहे। मराठा टाइगर कहे जाने वाले 79 वर्षीय शरद पवार ने अकेले ही कैंपेन किया और नरेंद्र मोदी, अमित शाह, देवेंद्र फड़नवीस पर सीधा हमला बोला। सतारा लोकसभा सीट पर भी एनसीपी ने बढ़त कायम की है प्रतिष्ठा की सीट सतारा में भाजपा कैंडिडेट उदयनराजे भोंसले के मुकाबला एनसीपी कैंडिडेट श्रीनिवास पाटिल ने जीत दर्ज की। इस चुनाव में शरद पवार ने बारिश से भीगते हुए भी एक रैली की। पीएम मोदी इस सीट पर उनके खुद न उतरने को कायरता तक करार दिया था, लेकिन नतीजे से पवार ने साबित कर दिया कि वह हारी बाजी जीतने में माहिर हैं। पवार के आगे आने का ही यह फैक्टर था कि उनके गढ़ में जनता ने उन पर एक बार फिर भरोसा जताया। दूसरी ओर कांग्रेस का आंकड़ा 45 पर थमता नजर आया। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं। इस तरह कांग्रेस का प्रदर्शन 2014 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले बेहतर रहा। यह इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि अब तक एनसीपी को कांग्रेस जूनियर पार्टनर मानती थी, लेकिन मराठा क्षत्रप शरद पवार ने सीटें ही नहीं बढ़ाईं बल्कि कांग्रेस के मुकाबले बढ़त भी हासिल की। ईडी, सीबीआई द्वारा पवार परिवार को टारगेट करना भी उनके हक में गया। इससे लोगों में पवार के प्रति सहानुभूति हुई और यह संदेश गया कि भाजपा की केंद्र सरकार विपक्ष को जानबूझ कर निशाना बना रही है। 2019 के विधानसभा चुनाव में शरद पवार की न केवल व्यक्तिगत प्रतिष्ठा बढ़ी है बल्कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना को हर तरह से टक्कर देने में सक्षम है। शायद वह शिवसेना व कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र में अगली सरकार भी बना लें?

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment