Thursday 14 November 2019

जेलों में अदालत

तीस हजारी अदालत में वकील-पुलिस की झड़प का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। सोमवार को भी वकीलों की हड़ताल जारी रही, वहीं सभी बार एसोसिएशन की समन्वय समिति ने बुधवार तक हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया। समन्वय समिति के अध्यक्ष महावीर सिंह शर्मा और महासचिव धीर सिंह कसाना ने बताया कि वकीलों का भरोसा तोड़ा गया। उन्हें 10 दिन के भीतर अधिवक्ता विजय वर्मा व अन्य पर गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया गया था। लेकिन उपराज्यपाल के समक्ष हुई बैठक में पुलिस के आला अधिकारियों ने जिम्मेदार पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी से साफ इंकार कर दिया। ऐसे में वकीलों के पास विरोध के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। सोमवार को सभी जिला अदालतों में वकीलों ने कामकाज ठप रखा। वकीलों की हड़ताल की वजह से अदालतों में नियमित सुनवाई नहीं हो पा रही है। इस बीच सोमवार को तीस हजारी अदालत में पांच न्यायाधीशों ने तीन जेलों में जाकर ही सुनवाई की। सभी जज तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेल पहुंचे और यहां 1500 विचाराधीन कैदियों के मामले में सुनवाई की। सूत्रों का कहना है कि वकीलों की हड़ताल को लेकर दिल्ली सशस्त्र पुलिस (डीएपी) तीसरी बटालियन के उपायुक्त ने 10 नवम्बर 2019 को एक पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया कि तीस हजारी अदालत में हुई घटना के बाद से तीसरी बटालियन के पुलिसकर्मियों में दहशत का माहौल है। वकीलों की हड़ताल को देखते हुए पुलिसकर्मी विचारधीन कैदियों को तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेल से विभिन्न अदालतों में पेश करने के लिए लेकर नहीं जाएगी। बताया गया है कि पत्र मिलने के बाद तीस हजारी अदालत सेंट्रल डिस्ट्रिक ने चीफ मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट आशु गर्ग की तरफ से सोमवार को एक आदेश जारी किया गया। इसमें पांच जज को सभी जिलों में विचाराधीन कैदियों के मामलों की रिमांड और पीसी कार्यवाही के लिए जेलों में जाने की बात कही थी। इसी आदेश का पालन करते हुए पांच न्यायाधीशों ने तीन जेलों में जाकर सुनवाई की। उधर दो नवम्बर को वकीलों और पुलिस के बीच हुई झड़प के मामले में तीस हजारी अदालत ने सोमवार को दिल्ली पुलिस से स्थिति रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने हालांकि बार एसोसिएशन की उस मांग को खारिज कर दिया जिसमें कथित रूप से गोलियां चलाने वाले पुलिस वालों की गिरफ्तारी की मांग की गई थी। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट जितेन्द्र सिंह की अदालत ने मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को निर्देश दिया है कि घटना से संबंधित सभी सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करके रखा जाए। अदालत ने 20 नवम्बर तक पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है। अदालत दिल्ली बार एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें लॉक अप के अंदर एक वकील पर कथित हमले एवं दो वकीलों पर कथित गोलीबारी की गई पर कार्रवाई की मांग की गई है। इस याचिका में गोलियां चलाने वाले पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की मांग की गई है। मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश होने वाले अतिरिक्त सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा निष्पक्ष जांच की जा रही है और यह पूरी होने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

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