जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) संगठन के प्रमुख मौलाना फजलुरर्हमान के नेतृत्व में उनके हजारों समर्थक शुक्रवार
से ही राजधानी इस्लामाबाद में डटे हुए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान
मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान
पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के समर्थन से गद्गद्
मौलाना ने इमरान को दो दिन में इस्तीफा देने का अल्टीमेटम दिया है। वहीं पूरे विपक्ष
को एकजुट होता देख पाक सेना खुलकर इमरान के समर्थन में आ गई है। शनिवार को पाकिस्तानी
सेना ने मौलाना और उनके समर्थकों को चेताया कि देश में किसी को अव्यवस्था फैलाने की
इजाजत नहीं दी जा सकती। मौलाना के आजादी मार्च पर पाक सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ
गफूर ने कहा कि मौलाना रहमान वरिष्ठ नेता हैं। उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह किस
संस्थान के बारे में बयान दे रहे हैं। पाकिस्तान की सेना एक तरफ संस्था है,
जो संविधान के तहत लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार का समर्थन करती
है। किसी को भी देश में अव्यवस्था फैलाने नहीं दी जाएगी। साथ ही उन्होंने
2018 के आम चुनाव में सेना की तैनाती का बचाव किया। गफूर ने कहा कि आम
चुनावों में संविधानिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए सेना की तैनाती हुई थी। अगर
चुनाव नतीजे में धांधली को लेकर विपक्षी पार्टियों के पास कोई सबूत है तो उन्हें सड़कों
पर उतर कर आरोप लगाने के बजाय उचित मंचों पर अपनी बात रखनी चाहिए और शिकायत दर्ज करानी
चाहिए। लोकतांत्रिक मुद्दे लोकतांत्रिक तरीके से हल किए जाने चाहिए। जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के मुखिया मौलाना रहमान ने सेना के प्रवक्ता गफूर पर पलटवार किया कि ऐसी
टिप्पणी से बचना चाहिए, जो सेना व्यवस्था का उल्लंघन करती है।
ऐसे बयान सेना की तरफ से नहीं बल्कि राजनीतिक पार्टियों की ओर से आने चाहिए। उन्होंने
कहा कि अगर इमरान ने 48 घंटे के भीतर इस्तीफा नहीं दिया तो हम
विपक्षी नेताओं के साथ बैठक करेंगे। उधर प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को अपनी
पार्टी पीटीआई की कोर कमेटी की बैठक बुलाई जिसमें जेयूआई-एफ से
संबंधित रणनीति पर चर्चा की गई। इमरान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी कि आजादी मार्च से दुश्मन
देश में खुशी है। ऐसे में मैं प्रदर्शन की अगुवाई करने वालों को जेल में डाल दूंगा।
डॉन न्यूज के मुताबिक शिक्षा-ए-व्यवसायिक
प्रशिक्षण मंत्री राफकत महमूद ने कहा कि अगर विपक्ष की कोई विशेष मांग हो तो वार्ता
की जा सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर बातचीत नहीं
हो सकती है। बता दें कि शिक्षा एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण के संघीय मंत्री राफकत महमूद
इमरान द्वारा गठित सरकार की बातचीत करने वाली टीम के सदस्य हैं, जिन्हें विपक्षी दलों से वार्ता करने के लिए नियुक्त किया गया है। अब विपक्षी
दलों के नेता बैठकर इस बात पर चर्चा करेंगे कि सरकार विरोधी मार्च को कैसे आगे बढ़ाया
जाए।
-अनिल नरेन्द्र
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