Tuesday 12 November 2019

जनता त्रस्त, शासक अपने में मस्त ः नोटबंदी के तीन साल

नोटबंदी की घोषणा को तीन साल हो चुके हैं। वर्ष 2016 में 8 नवम्बर की रात में 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का यह सबसे विवादास्पद कदम माना जाता है, जिस पर आज भी बहस जारी है। नोटबंदी की घोषणा के बाद अर्थव्यवस्था और लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई। कटु सत्य तो यह है कि मौजूदा गिरती अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी हद तक नोटबंदी की ही देन है। नोटबंदी की घोषणा करने के बाद सरकार ने इसके उद्देश्य बताए थे। उसने कहा कि काला धन, जाली नोट, आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग पर रोक लगेगी। न तो काला धन बंद हुआ, न ही जाली नोट। रहा आतंक का और आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग का तो इसमें तो उल्टा इजाफा ही हुआ है। आरबीआई ने पिछले दिनों 2000 के नोटों की छपाई रोकने का ऐलान करते हुए कहा था कि लोग इसकी जमाखोरी करने में लगे हैं। इस कारण इसकी छपाई रोकी जा रही है पर क्या जमाखोरी बंद हुई या कम हुई? यह सही है कि सरकार की कोशिशों के बाद डिजिटल लेनदेन बढ़ा है, लेकिन आज भी नकदी का आकर्षण बना हुआ है। नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ रहे देशवासियों को अब ऑनलाइन धोखाधड़ी मामलों ने डरा दिया है और लोग एक बार फिर नकदी के चलन को तरजीह दे रहे हैं। नोटबंदी के सबसे बड़े कारणों में काले धन पर रोक भी शामिल थी। हालांकि हाल में सम्पन्न हुए लोकसभा व विधानसभा चुनावों के दौरान आयकर अधिकारियों ने अरबों की करेंसी जब्त की। नोटबंदी के बाद सर्कुलेशन में नकदी का चलन पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों सदन में एक सवाल के जवाब में कहा था कि 4 नवम्बर 2016 को बाजार में कुल 17,741 अरब रुपए के मूल्य के बराबर नकदी चलन में थी जो 29 मार्च 2019 तक 21,137.64 अरब रुपए पहुंच गई। इस तरह 3396 अरब रुपए की नकदी आज चल रही है। इसी तरह एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2016 मे जहां 24.61 करोड़ के नकली नोट पकड़े गए थे, वहीं 2017 में यह बढ़कर 28 करोड़ पहुंच गए। नोटबंदी के तीन साल पूरे होने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर कई ओर से निशाना साधा और पार्टी नेता राहुल गांधी ने 2016 में उठाए गए सरकार के इस कदम को आतंकी हमला करार दे दिया। विपक्षी पार्टी ने 500 और 1000 रुपए के, उस समय प्रचलित नोटों को बंद करने में सरकार के फैसले की तुलना 1330 में मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा मुद्रा को प्रचलन से बाहर करने के फैसले से की। राहुल ने ट्वीट कियाöनोटबंदी आतंकी हमले को तीन साल गुजर गए हैं जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया। कई लोगों की जान ले ली, लाखों छोटे कारोबार खत्म कर दिए और लाखों देशवासियों को बेरोजगार कर दिया। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक ने 1330 में देश की मुद्रा को अमान्य कर दिया था। आज के तुगलक ने भी आठ नवम्बर 2016 को यही किया था। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोदी सरकार पर तेज हमला करते हुए कहा कि देश में अर्थव्यवस्था की हालत एकदम पतली है और शासन करने वाला अपने ही में मस्त है, जनता हर मोर्चे पर त्रस्त है।

-अनिल नरेन्द्र

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