Sunday, 17 November 2019

सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम-लट्ठ

सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम-लट्ठ की कहावत अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट के सिलसिले में शुरू हो गई है। अभी मुश्किल से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आठ दिन नहीं हुए कि अभी से राम मंदिर ट्रस्ट में स्थान पाने के लिए संतों में विवाद छिड़ गया है। केंद्र सरकार जहां अदालत के आदेश पर ट्रस्ट को लेकर अभी मंथन ही कर रही है, वहीं अयोध्या में संतों के बीच नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। इस बखेड़े का आधार राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास की ओर से दिया गया बयान बना है। न्यास अध्यक्ष महंत दास ने अपने बयान में कहा कि नए ट्रस्ट की जरूरत नहीं है। पहले से ही पुराना ट्रस्ट बना है जिसमें कुछ लोगों को जोड़कर मामले को आगे बढ़ाया जाए। उनके इस बयान के विपरीत विश्व हिन्दू परिषद नेतृत्व ने यह कहकर पेंच फंसा दिया कि राम जन्मभूमि न्यास की सम्पत्ति राम मंदिर निर्माण के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट को सौंप दी जाएगी। विहिप नेतृत्व ने यह मांग भी रख दी कि उसे अथवा न्यास के पदाधिकारियों को ट्रस्ट में जगह मिले या न मिले लेकिन राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले धर्माचार्यों को प्राथमिकता अवश्य दी जाए। इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। इसी के चलते स्वयंभू अध्यक्ष का ख्वाब सजाने वाले संतों की बेचैनी बढ़ गई है। इन्हीं में एक पूर्व सांसद महंत डॉ. रामविलास दास वेदांती भी हैं। वेदांती ने तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी महंत परमहंस दास को फोन कर उसे ट्रस्ट के अध्यक्ष के लिए उनके नाम का प्रस्ताव देने को कहा। इस बातचीत का ऑडियो वायरल हो चुका है। ऑडियो वायरल स्वयं परमहंस दास ने ही किया है। इसमें न्यास अध्यक्ष को कई अशोभनीय बातें कही गई हैं। वायरल ऑडियो को एक निजी चैनल ने प्रसारित भी कर दिया है। उधर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मांग को लेकर आमरण अनशन करने वाले तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी महंत परमहंस दास पर श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के साधुओं ने गुरुवार को हमला कर दिया। अपने आश्रम के कमरे में छिपे होने के कारण वे बच गए लेकिन आक्रोशित साधुओं की भीड़ ने उनका आवास घेर लिया और खिड़की-दरवाजे तोड़ने का प्रयास किया। इस दौरान मौजूद पुलिस अधिकारियों ने नाराज साधुओं को समझाकर दूर हटाया और परमहंस दास को सुरक्षित बाहर निकाला और दूसरे स्थान पर ले गए। बताया गया कि एक दिन पहले ही निजी चैनल पर डिबेट में शामिल परमहंस दास ने महंत नृत्यगोपाल दास पर अशोभनीय टिप्पणी की थी। इसी के चलते उनके समर्थक खासे नाराज थे। पुलिस की ढिलाई से उनका गुस्सा भड़क गया और उन्होंने तपस्वी छावनी पहुंचकर परमहंस का आवास घेर लिया। इस घटना की जानकारी मिलने पर सीओ अमर सिंह व प्रभारी निरीक्षक सुरेश पांडे पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। तपस्वी छावनी पहुंचकर परमहंस का आवास घेरने वालों से बचते-बचाते उन्हें कमरे से बाहर निकाला और उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले गए। परमहंस दास के घर के बाहर निकलते ही नाराज साधु लाठियां लेकर दौड़े पर पुलिस की बैरिकेडिंग नहीं तोड़ सके। जैसा मैंने कहा कि सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम-लट्ठ है कि नहीं?

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