Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
Published on 15th June 2011
अनिल नरेन्द्र
अमेरिका और पाकिस्तान संबंधों में आया तनाव जारी है। अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख लियोन पेनेटा जिस मकसद को लेकर पाकिस्तान पहुंचे थे, लगता है उसमें उन्हें खास सफलता नहीं मिली। आईएसआई के साथ तल्ख रिश्तों में सुधार पर बिना किसी सहमति के पेनेटा स्वदेश रवाना हो गए। पेनेटा शुक्रवार की शाम इस्लामाबाद पहुंचे थे। स्थानीय मीडिया के मुताबिक पेनेटा ने पाक सेना प्रमुख जनरल अशफाक कयानी और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा से मुलाकात की हालांकि वह प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति से नहीं मिले। पेनेटा शनिवार को ही वापस स्वदेश लौट गए। अमेरिकी टीवी एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार पेनेटा ने सेना प्रमुख और आईएसआई प्रमुख को कबायली इलाकों में आतंकवादियों के बम बनाने के दो कारखानों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। पेनेटा ने पाशा से उपग्रह से मिली और कुछ मुख्य खुफिया जानकारी भी साझी की जिससे यह साबित होता है कि पाकिस्तानी सुरक्षाबलों द्वारा पाक में इस्लामी उग्रवादियों को मदद के सबूत हैं। टाइम पत्रिका ने भी अपनी वेबसाइट पर एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा कि सीआईए ने पाकिस्तानी जनरलों को 10 मिनट का एक सम्पादित वीडियो को भी दिखाया जिसमें आतंकवादियों को वजीरिस्तान में बम बनाने के दो कारखानों को खाली कराते दिखाया गया है।खबरों के अनुसार पाकिस्तानी सैन्य तंत्र और आईएसआई ने पेनेटा की बात को एक तरह से नकार दिया और उस पर कोई तवज्जों नहीं दी। उलटा पाकिस्तानी आला अफसरों ने पेनेटा से कहा कि उसे अपनी जमीन पर अमेरिकी सैनिक बर्दाश्त नहीं है। पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी ने बताया कि पेनेटा ने इस बात पर चिन्ता जाहिर की कि पाकिस्तान में मौजूद अमेरिकी सेनाओं की टुकड़ियों की तादाद को घटाने का फैसला पाकिस्तान सरकार ने किया है। अगले महीने अमेरिका के रक्षा मंत्री बनने वाले पेनेटा का कार्यक्रम गुप्त रखा गया तथा उनके आगमन की जानकारी लोगों को नहीं दी गई। उल्लेखनीय है कि पेनेटा की यह यात्रा गत दो मई को एबटाबाद के इलाके में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद हुई है। पाकिस्तान ने इस घटना को अपनी सप्रभुता का उल्लंघन बताते हुए इस पर सख्त एतराज किया था।
कुछ दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और आईएसआई के बीच सहयोग खत्म हो गया है। उन्होंने टाइम पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा, `अगर अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ विश्वास बहाली के लिए उचित कदम नहीं उठाए तो अमेरिका के साथ मेरी सरकार को मुश्किल में डाल सकता है।' उन्होंने कहा कि सीआईए और आईएसआई के बीच सहयोग खत्म होने के कारण अमेरिका और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद के खिलाफ युद्ध और अफगानिस्तान से अंतर्राष्ट्रीय सेना के निकलने की रणनीति पर मतभेद हैं। उन्होंने अमेरिका द्वारा बार-बार ड्रोन हमलों से नाराजगी जताते हुए कहा कि उनकी सरकार जनता के प्रति जवाबदेही है और ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद पाकिस्तान में अमेरिकी विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने अमेरिका से कहा, `मैं सैन्य शासक नहीं हूं, मैं एक आवामी शख्सियत हूं। अगर लोगों की राय आपके खिलाफ हो तो मैं आपके साथ खड़ा नहीं हो सकता बल्कि मुझे जनता की राय के साथ चलना है।' टाइम पत्रिका के अनुसार लादेन की मौत के बाद अमेरिका में एक तरफ यह मांग की जा रही है कि सहयोग के लिए पाकिस्तान पर दबाव डाला जाए वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के भीतर अमेरिकी विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं। एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के खिलाफ हुई अमेरिकी कार्रवाई का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री गिलानी ने कहा जाहिर है हमें आश्चर्य हुआ कि अमेरिका ने एकतरफा कार्रवाई क्यों की जबकि हम आतंकवाद के खिलाफ मिलकर कार्रवाई कर रहे हैं। ओसामा की मौत के बाद से अमेरिका में भी पाक विरोधी भावनाओं में वृद्धि हुई है। कई अमेरिकी सांसदों ने पाक को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर अंकुश लगाने की मांग की है। लियोन पेनेटा ने अगर विश्वास बहाली के लिए पाक दौरा किया था तो उन्हें इसमें खास सफलता नहीं मिली दिखती। बाकी अन्दरखाते दोनों खुफिया एजेंसियों में क्या बात हुई है, पता नहीं चल सकता। इतना जरूर कहा जा सकता है कि अमेरिका और पाकिस्तान के आपसी रिश्तों में इस समय तनाव नजर आ रहा है।
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