Wednesday, 29 June 2011

मनमोहन सरकार को लकवा मार गया है, मंत्रालयों में काम ठप पड़ा है


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 29th June 2011
अनिल रेन्द्र
चौंकाने वाली खबर है। भारत सरकार ठप पड़ी हुई है। एक पूर्व मंत्री के साथ दो सांसद, कई वरिष्ठ कारपोरेट प्रबंधक और वरिष्ठ नौकरशाह भ्रष्टाचर के मामले में जेल की हवा खा रहे हैं तथा सीबीआई उनके खिलाफ पूरी मुस्तैदी से मुकदमा चला रही है। एक सर्वेक्षण के अनुसार केंद्र के वरिष्ठ नौकरशाह फंसने के डर से निर्णय लेने से बच रहे हैं, जिससे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया बाधित हो गई है और मनमोहन सरकार को जैसे लकवा मार गया हो। नौकरशाहों ने महत्वपूर्ण नीति निर्धारण से बचने के लिए फाइलों को वैसे के वैसे ही रखा हुआ है। विपरीत कार्रवाई के डर से प्रतिरक्षक रवैया अपना रखा है। सिद्धार्थ बेहुरा छह माह से अधिक समय से राजा के साथ जेल में पड़े रहने के कारण निर्णय और मुश्किल हो रहे हैं। एक वरिष्ठ लोक सेवक सुरक्षात्मक रवैया अपनाते हुए इस डर से कोई भी निर्णय लेने से बच रहे हैं कि उनके निर्णय लेने के पीछे कोई भी उद्देश्य छिपा हो सकता है और उन्हें सीबीआई जांच का सामना करना पड़ सकता है। वह इस बात से आशंक्ति हैं कि उनसे जबरदस्ती फैसला करवाया जा सकता है। कई लोक सेवक निर्णय लेने के स्थान पर केवल नोटिंग लिख रहे हैं। अब वह अपने मंत्री द्वारा व्यक्तिगत रूप से या अपने निजी सहायकों के मार्पत जारी मौखिक आदेश को स्वीकार करने से इंकार कर रहे हैं। सचिवों की समितियों में भी निर्णय लेने की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जाता और किसी तरह का निर्णय लेने से बचा जाता है या फिर इसे मंत्रियों पर छोड़ दिया जाता है है। न्यायपालिका ने लोक सेवकों को स्पष्ट संकेत भेजा है कि नेताओं के हाथ में कठपुतली न बनें और ईमानदारी एवं स्वतंत्र तरीके से निर्णय लें तथा फाइलों पर अपनी ईमानदारी अभिव्यक्ति अंकित करें। कैबिनेट मंत्री भी ऐसा निर्णय लेने से बच रहे हैं, जो विवाद उत्पन्न करे। वरिष्ठ नौकरशाहों ने हालिया दिनों में गौर किया है कि कैबिनेट मंत्री भी सतर्प हो गए हैं और जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार हालिया दिनों में उद्योग मंत्रालय में एक विवादित प्रपोजल कुछ जूनियर अधिकारियों द्वारा लाया गया, इसे मंत्री जी के कार्यालय में पहुंचाया गया, लेकिन सचिवों द्वारा फाइल नोटिंग में आलोचनात्मक मुद्दों को उठाने के बाद इसे रोक दिया गया। इस प्रस्ताव के पीछे मौजूदा प्राइवेट लाभार्थियों ने इस बात को महसूस किया कि किसी भी व्यक्ति को इस विषय में मदद जारी रखने का साहस नहीं होगा। वह बड़ा घोटाला हो सकता था लेकिन जो इस घोटाले को मूर्तरूप देने का प्रयास कर रहे थे वे अब तिहाड़ में जाने से डर रहे हैं। करीब दो दर्जन आईएएस अधिकारियों ने एक पूर्व कैबिनेट सचिव से गहन बैठक की। पूर्व कैबिनेट सचिव ने अधिकारियों को सभी तथ्य फाइलों पर लिखने तथा अपने हाथ बेदाग रखने की सलाह दी। अब एक बार फिर नौकरशाहों के ऊंचे तबके से प्रसासनिक सुधार जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों के लिए निर्धारित कार्यालय की मांग उठ रही है ताकि वे राजनीतिक धुरंधरों के हाथ में कठपुतली बनने के बजाय स्वतंत्र निर्णय ले सकें। वह सर्वोच्च न्यायपालिका है जिसने राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों को संकेत भेजा है कि ईमानदारी से कार्य करें अन्यथा कोई भी व्यक्ति नहीं छोड़ा जाएगा। यह सत्ताधारी राजनीतिज्ञों और वरिष्ठ नौकरशाहों के मध्य नेक्सस तोड़ सकता है।
Tags: 2G, Anil Narendra, CBI, Corruption, Daily Pratap, Manmohan Singh, Politician, Vir Arjun

No comments:

Post a Comment