Saturday, 4 June 2011

कनिमोझी, ए. राजा के बाद अब दयानिधि मारन का नंबर आ रहा है

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 4th June 2011
अनिल नरेन्द्र
वर्षों तक श्रीराम को गाली देने वाले एम. करुणानिधि और उनके परिवार ने तमिलनाडु और केन्द्र में मुगलों की तरह सत्ता सुख भोगा है और इतना पैसा बनाया है कि जिसका हिसाब ही कोई नहीं। पर जब श्रीराम की मार पड़ती है तो अच्छे-अच्छे धुरंधर धाराशाह हो जाते हैं। करुणानिधि के परिवार का भी दुर्दिन आरम्भ हो गया है। पूर्व संचार मंत्री ए. राजा के बाद सांसद बेटी कनिमोझी के भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाने के बाद उनके परिवार का एक और सदस्य तथा केन्द्राrय कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन का अब नम्बर आ रहा है। दयानिधि मारन के खिलाफ एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर पब्लिक लिटिगेशन ने सुपीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि मारन द्वारा मलेशिया के मैक्सिस समूह का पक्ष लिए जाने से संबंधित दस्तावेज उसे कोर्ट में पेश करने की अनुमति दी जाए। इस समूह ने मई 2004 से मई 2007 के बीच मारन के दूरसंचार मंत्री रहने के दौरान चेन्नई की टेलीकॉम कंपनी एयरसेल को खरीद लिया था। आरोप है कि दूरसंचार मंत्री रहते शिवा गुप की कंपनी एयरसेल को यूएएस लाइसेंस देने का मामला अटका दिया था। दूरसंचार मंत्रालय के रवैए से क्षुब्ध होकर इस कंपनी के मालिक सी. शिवाशंकर एयरसेल को मैक्सिस समूह को बेचने के लिए बाध्य हो गए थे। मैक्सिस समूह के मालिक मलेशिया के बिजनेस टाइकून टी. आनंद कृष्णन हैं। आरोप है कि मैक्सिस समूह के एयरसेल के बाद मारन परिवार नियंत्रित सन टीवी में भारी निवेश करते हुए उसकी 20 पतिशत हिस्सेदारी खरीद ली। मारन के कार्यकाल में एयरसेल को 14 लाइसेंस दिए गए।
उधर, 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने राष्ट्रीय दूरसंचार नीति में 2001 से हुई अनियमितताओं की पड़ताल के लिए पारंभिक जांच दर्ज की है। इससे ए. राजा के पहले रहे दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन भी जांच के घेरे में आ गए हैं। गौरतलब है कि तहलका पत्रिका ने इस मामले का खुलासा किया था। हालांकि मारन ने इन आरोपों का खंडन करते हुए पत्रिका को कानूनी नोटिस भी भेजा है। सीबीआई के पवक्ता धारिणी मिश्रा ने कहा `सीबीआई ने 2001 से 2007 के बीच दूरसंचार नीति में हुई आपराधिक गड़बड़ियों के निर्धारण के लिए अज्ञात लोगों के खिलाफ यह जांच दर्ज की है। इसका लक्ष्य तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा पारित पहले आओ-पहले पाओ के पावधान का दूरसंचार नीति में पालन हुआ है या नहीं यह मालूम करना है।'
2006 में जब दयानिधि मारन दूरसंचार मंत्री थे, तब उन्होंने अपने परिवार के सन टीवी नेटवर्प को फायदा पहुंचाने के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन में पद का दुरुपयोग किया था। दयानिधि मारन के कार्यकाल में दूरसंचार क्षेत्र में पत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी की गई थी। एयरसेल में 74 फीसदी शेयर धारक मैक्सिस ने अपनी कंपनी एस्ट्रो के जरिए मारन बंधुओं के सन टीवी नेटवर्प में 600 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया था। मारन ने दूरसंचार मंत्री रहते एयरसेल के लाइसेंस और स्पेक्ट्रम संबंधी आवेदनों को मंजूरी नहीं दी थी। इसके चलते एयरसेल के मालिक शिवाशंकर ने मारन परिवार के करीबी मैक्सिस को अपने 74 फीसदी शेयर बेच दिए थे। सीबीआई अधिकारियों का मानना है कि शिवाशंकर पर इस सौदे को लेकर भारी दबाव था।
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