Friday, 3 June 2011

भुल्लर तो बहाना है असल निशाना विधानसभा चुनाव हैं

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 3rd June 2011
अनिल नरेन्द्र
यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में सुरक्षा, कानून व्यवस्था, सभी का वोट बैंक पालिटिक्स को कबाड़ा कर रहा है। हम यह भूल जाते हैं कि एक आतंकवादी सिर्प आतंकवादी होता है, जिसका एक मात्र मकसद होता है अपने उद्देश्य को पाप्त करना। इसके लिए वह न तो सामने वाले का धर्म देखता है, न शख्सियत। एक आतंकवादी का कोई धर्म नहीं उसका धर्म है तो बंदूक व बारूद। ताजा विवाद देवेन्द्र सिंह भुल्लर को लेकर है। राष्ट्रपति की ओर से देवेन्द्र पाल सिंह भुल्लर की रहम याचिका खारिज किए जाने के बाद कुछ सियासी दलों को आगामी पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए अपनी-अपनी राजनीति चमकाने का मौका मिल गया है। पंजाब में चुनाव अगले साल फरवरी में होना है। हालांकि पिछले डेढ़ दशक में पंजाब में कोई बड़ी आतंकवादी वारदात नहीं हुई है लेकिन उग्रवाद और 1984 के फसाद से जुड़े मुद्दे चुनाव के दौरान हमेशा सिर उठा लेते हैं। विलायत, खासकर कुछ यूरोपीय देशों और अमेरिका में बसे खालिस्तानी विचार धारा के पोषक हमेशा ऐसे मुद्दों की तलाश में रहते हैं जिससे पंजाब में फिर उग्रवाद का दौर आरम्भ किया जा सके। इनकी मदद को हमेशा आईएसआई जैसे संगठन तैयार बैठे रहते हैं। बेशक पंजाब की जनता ने उग्रवाद को सिरे से नकार दिया और अमन-चैन भंग नहीं होने दिया पर फिर भी कुछ मजहवी मसले पंजाबियों के वर्ग के लिए एक दुखती रग की तरह जरूर रहे हैं। भुल्लर पर हुए अपत्याशित फैसले ने जो वर्षों बाद अचानक ही आ गया, ने एक बहस पैदा कर दी है जिसका असर आगे दिख सकता है। जाहिर है कि अगले कुछ महीनों में यह मसला और गरमा सकता है, क्योंकि कुछ राजनीतिक दल चुनाव अभियान के लिए इसे भुनाने के लिए तैयार हैं।
फांसी की सजा का इंतजार कर रहे भुल्लर की रहम याचिका खारिज होने के बाद सिखों के विभिन्न पथिक समूह भी साथ हो गए हैं। इस तरह के दर्जन भर संगठनों ने बैठक कर दया याचिका खारिज करने के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए केन्द्र सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी तक दे डाली है। इन संगठनों का कहना है कि इलेक्ट्रिक इंजीनियर और गुरु नानक देव इंजीनियरिंग कालेज का पूर्व अध्यापक भुल्लर सिर्प खालिस्तानी विचारक थे। उसने सकिय रूप से किसी भी आतंकी घटना में भाग नहीं लिया। दिल्ली बम कांड में भी उसके खिलाफ कोई गवाह नहीं था। बाद में अदालत में वह अपने बयान से पीछे हट गया था। दिल्ली बम कांड के फौरन बाद भुल्लर जर्मनी भाग गया था। लेकिन वहां पनाह नहीं मिली और उसका पत्यर्पण कर भारत लाया गया। उसकी सजा बदलने के पक्ष में यह कारण भी दिया जा रहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को कायम रखने के समय सुपीम कोर्ट की पीठ भी एकमत नहीं थी। तीन न्यायाधीशों में एक ने उसे आरोपों से मुक्त कर दिया है और विधि विशेषज्ञ कहते हैं कि उसकी सजा को आजीवन कैद में बदलने के लिए यह वैध कारण हो सकता है।
बम विस्फोट के दोषी खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के आतंकी देवेन्द्र सिंह भुल्लर की दया याचिका खारिज होने के बाद वैसे अब उसके लिए संविधान में कोई रास्ता नहीं बचा है। राष्ट्रपति से दया याचिका खारिज होने के बाद भारतीय संविधान में दोषी साबित व्यक्ति की सजा के खिलाफ अपील करने के अधिकार समाप्त हो जाते हैं। देखना अब यह है कि केन्द्र सरकार इस ज्वलंत मुद्दे पर क्या करती है?
Tags: Anil Narendra, Bhullar, Daily Pratap, Delhi Bomb Case, Khalistan, Punjab, Sikh Terrorist, Terrorist, Vir Arjun

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