Thursday 16 June 2011

सुप्रीम कोर्ट का सीधा सवाल ः कहां गया घूस का 200 करोड़?


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 16th June 2011
अनिल नरेन्द्र
जो काम राजनेता नहीं कर सके वह काम माननीय सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। सरकार चाहे जितना भी मामले को दबाने की कोशिश करे पर जब तक सुप्रीम कोर्ट है इस देश को विश्वास है कि न्याय जरूर होगा। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले में अगर सुप्रीम कोर्ट इतना सख्त न होता तो शायद इतने आरोपी तिहाड़ के अन्दर न होते। यह मैंने इसी कॉलम में कुछ दिन पहले लिखा था कि जेल तो ठीक है पर पैसे का क्या हुआ? कनिमोझी की जमानत याचिका के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला भी उठा दिया है। कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सीबीआई से यह पता लगाने के लिए कहा है कि ए. राजा के कार्यकाल में टेलीकॉम कम्पनियों को लाइसेंस जारी करने में सरकारी खजाने को कितना नुकसान हुआ था? शीर्ष कोर्ट ने यह सवाल भी पूछा कि रिश्वत की रकम 200 करोड़ का क्या हुआ, उसकी स्थिति क्या है? न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कनिमोझी व शरद कुमार की जमानत याचिका पर सीबीआई से यह भी प्रश्न किया कि ए. राजा के कार्यकाल में कम्पनियों को जारी किए गए 2जी लाइसेंस से राजस्व को कितना नुकसान हुआ और निचली अदालत में मामले की क्या स्थिति है। कनिमोझी से अदालत ने साफ कहा कि आपके हक में कुछ खास दलील नहीं है। बस सिर्प यह हो सकती है कि आप एक महिला हैं और दफा 437 के तहत महिला होने के नाते आपको जमानत देने में हमदर्दी दिखाई जाए। कोर्ट ने सीबीआई से सीधा पूछा कि जांच बताती है कि 200 करोड़ रुपये बतौर रिश्वत दिया गया या गलत तरीके से दिया गया, इसलिए इसे एक लीगल ट्रांजेक्शन नहीं माना जा सकता। उस सूरत में यह 200 करोड़ रुपये केस प्रॉपर्टी है और केस प्रॉपर्टी होने के नाते यह कहां है? इसका क्या हुआ? गौरतलब है कि कनिमोझी और कलेंगनर टीवी के एमडी शरद कुमार को 2जी घोटाले में कलेंगनर टीवी को मिली 200 करोड़ रुपये की रिश्वत के मामले में 20 मई को गिरफ्तार किया था। इन दोनों को मामले में दायर की गई दूसरी चार्जशीट में आरोपी बनाया गया था। दोनों ने दिल्ली हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें जमानत नहीं दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। कलेंगनर टीवी प्राइवेट लिमिटेड में कनिमोझी और शरद कुमार की 20-20 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। कम्पनी को कथित तौर पर शाहिद बलवा की डीबी रियलिटी के जरिये 200 करोड़ रुपये मिले थे। जस्टिस बीएस चौहान और जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार मानवाधिकार उल्लंघन का सबसे बुरा चेहरा है।
जहां तक हम समझते हैं कि इस केस में 200 करोड़ रुपये को पैदा करके माननीय अदालत के सामने रखना बहुत जरूरी है। केस प्रॉपर्टी ही नहीं होगी तो केस का क्या होगा? बिना इस राशि को पेश किए कनिमोझी और शरद कुमार के खिलाफ कानूनी पुष्टि से केस कमजोर हो जाता है। देश भी यही चाहता है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में हुए एक करोड़ 70 लाख रुपये के घोटाले की रकम को रिकवर किया जाए, तभी जनता को संतोष होगा। देखें, सीबीआई क्या जवाब देती है। कनिमोझी के वकील ने तो सीधा कहा है कि शाहिद बलवा की कम्पनी डीबी रियलिटी से 200 करोड़ रुपये का लोन लिया गया था जो बाद में अदा कर दिया गया। अब सीबीआई को न केवल आरोपों को साबित करना है बल्कि केस प्रॉपर्टी रिकवर करनी है।

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