Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
Published on 10th June 2011
अनिल नरेन्द्र
काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बढ़ते चौतरफा दबावों से घिरी मनमोहन सिंह सरकार चिंतित लग रही है। खासकर पीएम डॉ. मनमोहन सिंह। वह अपनी सरकार की गिरती छवि को थामने के लिए अब कदम उठाने की बात कर रहे हैं। इनमें से एक है एक बार फिर अपने मंत्रियों को अपनी सम्पत्ति का खुलासा करने का निर्देश देना। प्रधानमंत्री का यह कदम उच्च स्तर पर शासन में पारदर्शिता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रियों के लिए आचार संहिता जारी की है। इसके तहत हर मंत्री को अपनी और अपने परिजनों की सम्पत्ति के ब्यौरे की घोषणा करनी होगी। इतना ही नहीं, मंत्रियों को अपने हितों की भी जानकारी देनी होगी। मसलन, यदि किसी मंत्री का परिजन विदेशी कम्पनी में कार्यरत है तो इसका पूरा ब्यौरा उन्हें देना होगा तथा सरकार से इसकी पूर्व अनुमति लेनी होगी। राज्यों को भी आचार संहिता लागू करनी होगी। उन्हें 31 अगस्त तक मंत्रियों को अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा देने को कहा गया है।प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों को चिट्ठी लिखकर अपनी सम्पत्ति और सालाना कमाई ही नहीं बल्कि अपने पति या पत्नी के साथ उन पर आश्रित परिजनों के नाम की सम्पत्ति को भी सार्वजनिक करने के लिए कहा गया है। इतना ही नहीं, मंत्रियों को इस बार विशेष रूप से कारपोरेट जगत से अपने कारोबारी रिश्तों और संबंधों का भी खुलासा करने के निर्देश दिए गए है। प्रधानमंत्री की इस चिट्ठी में मंत्रियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि यदि उनके परिवार का कोई सदस्य अपनी कोई फर्म शुरू करता है या फिर किसी कारोबारी फर्म के बोर्ड का सदस्य बनता है तो इस जानकारी का भी उन्हें खुलासा करना होगा। आचार संहिता के तहत सभी मंत्रियों को सम्पत्ति, देनदारियों, व्यापारिक हितों और अन्य किसी आश्रितों के किसी विदेशी सरकार या संगठन के तहत रोजगार संबंधी जानकारी भी देनी होगी। विवरण में समस्त अचल सम्पत्ति, नकदी, आभूषण, शेयर और डिबेंचर का ब्यौरा शामिल है।
कारण कुछ भी रहा हो, चाहे वह बाबा रामदेव के आंदोलन का दबाव रहा हो या फिर अन्ना हजारे का प्रेशर्स, प्रधानमंत्री के इस कदम का हम स्वागत करते हैं। मनमोहन सरकार में कई करोड़पति मंत्री पहले से ही मौजूद हैं। नेशनल इलेक्शन वॉच की एक रिपोर्ट जो मंत्रियों द्वारा 2009 में दाखिल चुनाव हलफनामे पर आधारित है, का कहना है कि श्री प्रफुल्ल पटेल पहले से ही 89.9 करोड़ सम्पत्ति के मालिक हैं। कपिल सिब्बल 31.97 करोड़, विसेंट पाला 25.16 करोड़, वीरभद्र सिंह 22.52 करोड़। यूपीए सरकार में कुल 47 मंत्री करोड़पति हैं। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के खलनायक पूर्व संचार मंत्री ए. राजा के मामले में पर्दे के पीछे कुछ औद्योगिक घरानों से उनकी साठगांठ, इंडियन प्रीमियर लीग की टीमें खरीदने के लिए शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया सुले और पूर्व विदेश मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनन्दा पुष्कर की वजह से सरकार की हुई फजीहत शायद प्रधानमंत्री के नए निर्देश का कारण हो सकती है। जहां हम पीएम के इस कदम का स्वागत करते हैं वहीं यह भी कहना चाहते हैं कि नौकरशाहों पर भी नकेल कसनी चाहिए। मंत्रियों से कहीं ज्यादा इन नौकरशाहों ने लूट-खसोट मचा रखी है।
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