Wednesday, 22 June 2011

क्या डॉ. मनमोहन सिंह का पत्ता कटने वाला है?

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 22nd June 2011
अनिल नरेन्द्र
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विरोध में अब आवाजें मुखर होती जा रही हैं। जनता में डॉ. मनमोहन सिंह की छवि दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। अब तो कांग्रेस पार्टी में भी प्रधानमंत्री के खिलाफ एक खेमा खुलकर बोलने लगा है। सरकार और कांग्रेस पार्टी में अब दरार पड़ चुकी है और पार्टी के एक तबके को लगने लगा है कि मनमोहन सिंह कांग्रेस पार्टी की लुटिया डुबो देंगे। पिछले दिनों एकीकृत जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने भोपाल में अपने दल के सम्मेलन में प्रधानमंत्री को कुछ इन शब्दों में बयान किया। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ऐसी गाय है जो देखने में सीधी और भली लगती है लेकिन न दूध देती है, न गोबर। उनके सामने एक के बाद एक आजादी के बाद के सबसे बड़े घोटाले होते रहे और वे टुकर-टुकर देखते रहे। उन्होंने गड़बड़ घोटाले करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की कोई पहल नहीं की। कार्रवाई तब शुरू हुई जब कोर्ट ने आदेश दिए। यादव ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में अभी कई और लोग जेल जाएंगे, उन्हें कोई नहीं बचा पाएगा। आज देश में हर तरफ ऊपर से नीचे तक लूट मची है। लगता है कि पूरे कुएं में अफीम घुल गई है। कहीं वोट बिक रहे हैं, कहीं ईमान।
अगर मीडिया में छपी खबरों पर यकीन किया जाए तो कांग्रेस में भी मनमोहन सिंह के खिलाफ आवाजें मुखर होती जा रही हैं। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह में दरार पड़ चुकी है। मनमोहन सिंह अब अपना खेमा बना रहे हैं। संचार घोटाले और फिर लोकपाल बिल के आंदोलन के हवाले डॉ. मनमोहन सिंह में यह डर बैठा दिया गया है कि कुछ करना होगा नहीं तो वे भ्रष्टाचार के सीधे आरोपी बनेंगे और बेइज्जत होकर सत्ता छोड़नी पड़ेगी। और जान लें आज इसी डर से मनमोहन सिंह काम कर रहे हैं कि यदि लोकपाल बिल बना और लोकपाल की नियुक्ति हुई तो सबसे पहले मनमोहन सिंह के ही खिलाफ संचार घोटाले की जांच की शिकायत होगी। लोकपाल उनके लिए भस्मासुर साबित होगा। इसलिए नोट करके रख लें कि लोकपाल बिल के दायरे में प्रधानमंत्री पद का आना तब तक मुमकिन नहीं है जब तक मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हैं। लगता है श्रीमती सोनिया गांधी भी यह समझ चुकी हैं और वह पार्टी को बचाने के लिए अब मनमोहन सिंह के विकल्पों पर विचार कर रही हैं। यही वजह है कि राहुल गांधी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। रामलीला मैदान में लाठीचार्ज का फैसला भी प्रधानमंत्री खेमे ने किया था। सोनिया पूरे मामले की हैंडलिंग से नाराज हैं।
प्रधानमंत्री और उनके पीएमओ को सारे घोटालों की पूरी जानकारी थी। दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के विवादों में घिरी आयोजन समिति की कारगुजारियों के बारे में पीएमओ को पहले से ही जानकारी थी लेकिन उसने इस मामले में कोई कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा। आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चन्द्र अग्रवाल ने सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी हासिल की है उसके तहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और खेल मंत्री के बीच राष्ट्रमंडल खेलों के बारे में 52 पन्नों का आदान-प्रदान हुआ था। वर्ष 2007 में तत्कालीन खेल मंत्री मणिशंकर अय्यर ने खेलों के बारे में गैर सरकारी संगठन (हजार्ड्स सेंटर) की एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी। अय्यर ने साथ ही कहा था कि वह इन खेलों के प्रति समर्पित हैं। लेकिन यह दस्तावेज हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या हम इस रास्ते पर चलें जिससे देश को भारी नुकसान हो सकता है? इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपनी एक आंतरिक रिपोर्ट में स्वीकार किया कि खेल मंत्रालय और आयोजन समिति के बीच गहरे मतभेद हैं। खेल मंत्रालय जहां पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर दे रहा है वहीं आयोजन समिति इसके लिए कतई तैयार नहीं थी। लेकिन इसके बावजूद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पीएमओ ने कोई भी कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा। ऐसे ही 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले का भी केस है। पीएमओ को सब जानकारी थी पर उसने रोकने के लिए कुछ नहीं किया। इन्हीं के चलते आज कांग्रेस पार्टी डॉ. मनमोहन सिंह को एक लाइबिलिटी मानने लगी है और उन्हें हटाने पर गम्भीरता से विचार कर रही है।
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1 comment:

  1. Sir jis tareh Congress chal rahi hein isse to lagta hein ki Manmohan ka kya puree party ka hi satyanash hone wala hein !!!

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