Tuesday, 28 June 2011

पुट्टापर्थी सत्य साईं बाबा का खजाना


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 28th June 2011
अनिल रेन्द्र
आंध्र प्रदेश के अनन्तपुर जिले में पुलिस ने एक वाहन से 35 लाख रुपये कैश बरामद किए और इसके ड्राइवर को गिरफ्तार किया था। माना जा रहा है कि यह रकम सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट की थी और चोरी से बाहर भिजवाई जा रही थी। इससे पहले जब सत्य साईं बाबा का निजी चैम्बर खोला गया तो वहां से निकले खजाने ने सभी को चौंका दिया था। सत्य साईं बाबा के निजी कमरे से 98 किलो सोना, 317 किलो चांदी और 11.5 करोड़ रुपये कैश मिला था। पुट्टापर्थी के सत्य साईं बाबा जब जीवित थे तो हवा में हाथ घुमाकर सोने-चांदी के आभूषण, हाथ घड़ी और भभूत निकालकर लोगों को `चमत्कृत' करने की कहानियां चर्चा में रहती थीं लेकिन किसी को यह अंदाजा नहीं था कि उनकी मौत के बाद इस रहस्यमय तरीके से इतनी दौलत निकलेगी। कमरे से निकले धन की कुल कीमत अरबों रुपये में आंकी गई है। अनुमानत 40 हजार करोड़ की सत्य साईं की अकूत सम्पत्ति में इतना धन वैसे तो कुछ भी नहीं लेकिन लोगों को उनकी मायानगरी के एक कमरे में कुबेर के ऐसे खजाने का `दर्शन' सम्भवत पहली बार हुआ होगा। देश में काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बने मौजूदा माहौल में इतना ही धन अगर किसी नौकरशाह या नेता के घर पर मिल जाता तो तूफान खड़ा हो जाता और उसे काले धन की संज्ञा दी जाती। लेकिन धर्मगुरुओं और बाबाओं की शरण में पहुंच जाने पर जैसे मनुष्यों के पाप धुल जाने की मान्यता है, वैसे ही शायद धन का काला रंग भी धुल जाता होगा। 28 मार्च को जब सत्य साईं बाबा को अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो इस कमरे को बन्द कर दिया गया था। तब से इस कमरे के रहस्य को जानने की उत्सुकता लोगों में थी लेकिन शायद ही यह कल्पना की होगी कि उनके आराम करने वाले निजी कमरे में इतना धन छुपा होगा। इसलिए उनकी मृत्यु के 51 दिन बाद गुरुवार की सुबह जब उनके इस रहस्यमय कमरे को खोला गया तो देखने वालों की आंखें फटी की फटी रह गईं। सत्य साईं बाबा जब जीवित थे तो इस कमरे में झांकने की किसी को इजाजत नहीं थी। इसलिए उनके बेहद करीबियों को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि सत्य साईं बाबा नोटों, सोने, चांदी, हीरे और जवाहरात के बीच नींद लेते थे। आंध्र प्रदेश की सरकार के लिए अब यह समस्या बन गई है कि इस धन का किया क्या जाए? सत्य साईं बाबा ने अपनी कोई वसीयत नहीं लिखी। जो संस्थाएं चल रही हैं वे तो वैसी ही चलती रहेंगी पर इस नकदी, सोने इत्यादि का विवाद जरूर पैदा हो गया है।
भारत सरकार के आयकर विभाग ने एक गोपनीय रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में ट्रस्ट और संस्थाएं आयकर छूट कानून का उल्लंघन कर रही हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बहुत से ट्रस्ट धार्मिक और धर्मार्थ कार्य करने की बजाय चैरिटी में मिले पैसों का इस्तेमाल अपना व्यापार और कारोबार बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। गौरतलब है कि आयकर विभाग ने 2009-10 में आयकर कानून में एक नया ब्लॉज जोड़ा था। इसके मुताबिक अगर कोई ट्रस्ट दान से मिली राशि का इस्तेमाल धार्मिक कार्यों के अलावा अपने व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए करता है तो उसे कर में छूट का लाभ नहीं मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग की कर छूट इकाई ने बड़ी संख्या में ऐसे ट्रस्टों के बारे में पता लगाया गया है जो चैरिटी के पैसों का इस्तेमाल व्यावसायिक गतिविधियों के लिए कर रहे हैं। ऐसी संस्थाओं की जांच की जा रही है। आयकर विभाग ने देशभर के सभी मुख्य आयुक्तों से भी कहा है कि वे ऐसे ट्रस्टों की पहचान करें जिनका पंजीकरण धार्मिक और धर्मार्थ संस्था के तौर पर कराया गया है लेकिन वे चैरिटी ब्लॉज का उल्लंघन करते हैं। इन संस्थाओं को आयकर कानून की धारा 11 और 12 के तहत कर छूट का लाभ हासिल है। सत्य साईं बाबा के कुछ भक्तों का दावा है कि देशी और विदेशी अनुयायियों ने बाबा को सैकड़ों करोड़ों रुपये नकद, आभूषण, हीरे और अन्य वस्तुएं उपहार में दी थीं। भक्तों के मुताबिक बाबा जब अस्पताल में थे तो ज्यादातर नकदी और अन्य कीमती वस्तुएं प्रशांति निलमय से बाहर भेज दी गई। उल्लेखनीय है कि सत्य साईं बाबा का गत 24 अप्रैल को निधन हो गया था।
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