Friday 10 June 2011

अन्ना की हुंकार, एंटनी की चेतावनी

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 10th June 2011
अनिल नरेन्द्र
बुधवार का दिन सियासत से भरा हुआ दिन रहा। इधर तो राजघाट में अन्ना हजारे हुंकार भर रहे थे तो उधर नई दिल्ली के प्रेस क्लब में रक्षा मंत्री एके एंटनी ने यह कहकर कि ये पारदर्शिता की क्रांति है जो अब रुक नहीं पाएगी, सबको चौंका दिया। यह बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के आंदोलनों का ही असर है कि मनमोहन सरकार के इतने वरिष्ठ मंत्री, 10 जनपथ के करीबी एंटनी यह कह रहे हैं। एंटनी ने जो कहा, निश्चित रूप से वह बिना ऊपर सलाह किए नही कहा होगा। फिर सरकार का एक मंत्री ऐसी चेतावनी किसको दे रहा है? क्या यह अपनी ही सरकार को तो नहीं चेता रहा? या फिर अन्ना के आंदोलन और मांगों की हवा निकालने के लिए यह सब हो रहा है? अन्ना डर गए हैं। अन्ना का अनशन हर लिहाज से हिट रहा। गांधीवादी अन्ना हजारे ने रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के समर्थकों पर हुई लाठीचार्ज के विरोध में बुधवार को राजघाट पर अपने एकदिवसीय अनशन के समापन पर जनता का आह्वान किया कि वे आगे की लड़ाई के लिए अपने को मजबूत करें। उन्होंने कहा कि संसद के मानसून सत्र में लोकपाल विधेयक पारित नहीं होने की स्थिति में 16 अगस्त से जन्तर-मन्तर पर पहले से भी बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। अनशन के समापन पर अन्ना ने विशेष रूप से गृहमंत्री पी. चिदम्बरम के उस बयान की कड़ी आलोचना की जिसमें कहा गया है कि मीडिया का एक वर्ग भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की प्रतिस्पर्धा लोकलुभावन कवरेज कर रहा है जिससे संसदीय लोकतंत्र का अवमूल्यन हो रहा है। हम चिदम्बरम साहब को यह बताना चाहते हैं कि मीडिया अपनी भूमिका निभा रहा है। मीडिया जनता की आवाज और नब्ज है। आज भारत की जनता भ्रष्टाचार और महंगाई से परेशान, हैरान है। उसे समझ नहीं आ रहा कि वह अपना रोष प्रकट कैसे करे? चुनाव दूर हैं और सत्तारूढ़ पार्टी संसद के अन्दर आंकड़ों के जोड़तोड़ कर सभी मुद्दों पर पानी फेर रही है। जब जनता की पुकार सांसद नहीं सुनेंगे तो जनता सड़कों पर उतरेगी और इसीलिए चाहे बाबा रामदेव का अनशन हो या फिर अन्ना हजारे का, उन्हें जबरदस्त जनसमर्थन मिल रहा है और चिदम्बरम साहब आपके तो वरिष्ठ मंत्री एंटनी खुद यह कह रहे हैं कि अब यह क्रांति नहीं रुकेगी? मीडिया को दोष देना छोड़िए, अपने अन्दर झांकिए और देखिए कि जनता में मची त्राहि को कम कैसे किया जाए।
अन्ना हजारे एक जिम्मेदार गांधीवादी हैं और उनकी बातों को गम्भीरता से लिया जाता है। अन्ना ने एक सनसनीखेज रहस्योद्घाटन किया कि एक मंत्री ने उन्हें मारने के लिए 30 लाख रुपये की सुपारी भी दी, लेकिन वह इससे विचलित होने वाले नहीं। अन्ना के इस आरोप की जांच होनी चाहिए। कौन था वह मंत्री जिसने यह सुपारी दी? अन्ना ने यह भी कहा कि सरकार जनसेवक होती है जो जनता के सोने के कारण से मालिक बन बैठी है, अब उसे बताने का समय आ गया है कि असल मालिक कौन है, कौन सेवक है। यूपीए सरकार पर चौतरफा दबाव बढ़ता जा रहा है और जैसे एंटनी ने कहा कि अब यह क्रांति रुकने वाली नहीं है।

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