Thursday, 30 June 2011

जे डे की हत्या के पीछे छोटा राजन का मोटिव क्या था?

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 30th June 2011
अनिल रेन्द्र
मुंबई पुलिस ने दावा किया है कि मिड डे के वरिष्ठ पत्रकार ज्योतिर्मय डे को अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के कहने पर मारा गया। डे की हत्या में कथित रूप से शामिल सात लोगों को देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार करके सोमवार को मुंबई की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने सभी आरोपियों को 4 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। मुंबई के पुलिस कमिश्नर अरुप भटनागर और क्राइम ब्रांच के मुखिया हिमांशु रॉय ने सोमवार को एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में डे की हत्या की गुत्थी सुलझा लेने का दावा किया। रॉय के मुताबिक छोटा राजन ने इस हत्या के लिए मुंबई के कुख्यात शॉर्पशूटर रोहित थंगपन जोसेफ उर्प सतीश कालिया को दो लाख रुपये की सुपारी दी थी। कालिया ने पुलिस को बताया है कि हत्या तक उसे यह नहीं पता था कि मारे जाने वाला शख्स एक पत्रकार है। डे के पत्रकार होने की जानकारी कालिया को न्यूज चैनलों से मिली, जिसके बाद राजन की तरफ से उसे तीन लाख रुपये और दिलाए गए। पुलिस के मुताबिक कालिया को छोटा राजन ने हत्या के दिन यानि 11 जून से करीब 20 दिन पहले एक शख्स को मारने के लिए कहा था। इस शख्स की मोटरसाइकिल का नम्बर और उसके मिलने के दो ठिकानों के बारे में भी छोटा राजन ने बताया। सुपारी लेने के बाद कालिया ने अपने साथी नीलेश शेडरो से सम्पर्प किया। नीलेश ने इसके बाद इस हत्या में शामिल पांच को जिनमें थे अरुण डाके, सचिन गायकवाड़, अभिजीत शिंदे और मंगेश को अपने साथ लिया। डे की हत्या में प्रयुक्त हथियार .32 बोर का रिवाल्वर और चेकोस्लोवाकिया की बनी गोलियां इन लोगों को उत्तराखंड के काठगोदाम में दी गईं। हत्या से पहले हमलावरों ने मुंबई के लोअर पटेल में उस इलाके की पहचान की जहां मिड डे का दफ्तर है। ये लोग पहले डे को लोअर पटेल इलाके में ही मारना चाहते थे, लेकिन ये इलाका भीड़ भरा होने की वजह से बाद में हत्या की योजना को पवई स्थानांतरित कर दिया गया। हमलावरों ने इस पूरे मामले को अंजाम देने के लिए चार टीमें बनाईं और इसके लिए तीन मोटरसाइकिलों और एक क्वालिस गाड़ी का प्रयोग किया। पुलिस के मुताबिक इन हमलावरों ने 9 और 10 जून को भी डे पर घात लगाई थी, लेकिन हत्या का सही वक्त और दिन उन्हें 11 जून को ही मिल पाया। कालिया ने पुलिस को बताया कि डे के शरीर पर पांचों गोलियां उसने मोटरसाइकिल की पिछली सीट पर बैठे दागीं। हत्या के बाद सारे हमलावर मुंबई से जोगेश्वरी इलाके में इकट्ठा हुए और वहीं इन्हें यह पता चला कि मारा गया शख्स मुंबई का नामी पत्रकार जे डे है। पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल की गई गाड़ियां, रिवाल्वर और कुछ गोलियां भी इनके पास से बरामद कर ली हैं। महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने डे की हत्या में कथित रूप से शामिल लोगों को गिरफ्तार करने वाली क्राइम ब्रांच की टीम को 10 लाख रुपये का पुस्कार देने का ऐलान किया है।
बेशक मुंबई पुलिस ने हत्या की गुत्थी सुलझाने का दावा किया है पर कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर अभी तक नहीं मिल पाया है। सबसे बड़ा प्रश्न तो यह है कि हर हत्या के पीछे मोटिव यानि उद्देश्य बहुत जरूरी होता है। छोटा राजन ने अगर यह हत्या करवाई तो उसका जे डे को मारने का मकसद क्या था। यह समझ नहीं आया कि हत्यारों को रिवाल्वर की गोलियां लेने के लिए उत्तराखंड के काठगोदाम क्यों जाना पड़ा? मुंबई में भी तो गोलियां बड़ी आसानी से उपलब्ध हैं। हत्या में शामिल पांच लोगों में से तीन मुंबई से वारदात के बाद भाग गए थे जबकि दो मुंबई में ही रुक गए, क्यों? छोटा राजन का अपना गैंग है और एक बहुत प्रभावी हत्यारों की टीम, फिर उसने जे डे की हत्या को आउटसोर्स क्यों किया? उसे बाहर से भाड़े के हत्यारों को लेने की क्या जरूरत पड़ गई? यह भी कम आश्चर्यजनक नहीं कि सतीश कालिया को यह पता नहीं था कि वह किसे मारने जा रहा है। जब उन्होंने मिड डे के कार्यालय का सर्वेक्षण किया तब तो उन्हें यह पता चल ही गया होगा कि जिसे वह मारने जा रहे हैं वह एक पत्रकार हो सकता है जो मिड डे से संबंधित हो सकता है। खुद अगर जे डे जिन्दा होते तो उन्हें यह पुलिस की कहानी बताते तो वह इस पर यकीन न करते। जे डे की हत्या को लेकर कई तरह की चर्चाएं सामने आई हैं। इनमें से डे की छवि को खराब करने की कोशिश भी हुई। चाहे विचार आया हो कि जे डे अंडरवर्ल्ड गैंग के काफी करीब पहुंच गए थे और हो सकता है कि उन्होंने कहीं पर लक्ष्मण रेखा लांघ ली हो। हालांकि जो लोग सालों से पेशेवर रूप से जे डे को जानते हैं, वह इस विचार को मानने से स्पष्ट इंकार करते हैं। डे भले ही अंडरवर्ल्ड गैंगस्टर से सम्पर्प में थे। लेकिन खबर से ज्यादा उनके लिए कुछ नहीं था। वह अपनी लक्ष्मण रेखा नहीं लांघ सकते। एक दशक से ज्यादा समय से डे को जानने वाले एक पत्रकार का कहना है, `डे सभी अंडरवर्ल्ड गैंग के गैंगस्टरों को जानते थे। वास्तव में मुंबई के वह एक ऐसे पत्रकार थे, जिनकी पहुंच सभी गैंगस्टरों तक थी। लेकिन उन्होंने कभी भी अपने पेशागत आदर्शों का उल्लंघन नहीं किया। साथी पत्रकारों ने कहा कि दादा डे बहुत ही मधुभाषी थे, यह भविष्य की पीढ़ी हैं। यदि उन्हें इस उम्र में उचित मार्गदर्शन मिला तो वे आगे जाकर अच्छे जर्नलिस्ट बन सकते हैं।' मुंबई पुलिस ने सोमवार को दावा किया कि गैंगस्टर छोटा राजन ने डे की हत्या की सुपारी दी थी। यह डे के कई करीबी दोस्तों के लिए बहुत बड़ा आश्चर्य है। बीते वर्षों में कई मौकों पर डे ने राजन से सीधी बातचीत की है। हमेशा से उसने लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखा। वास्तव में यदि वह जिन्दा होते और उन्हें बताया जाता कि राजन उन्हें मारने की साजिश रच रहा है तो वह हंसकर टाल जाते। वे कहते, `मैं बहुत छोटा आदमी हूं, राजन मुझे क्यों मारेगा?'
Tags: Anil Narendra, Chhota Rajan, Daily Pratap, Dawood Ibrahim, J Dey, Mumbai, Vir Arjun

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